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Saturday, 25 June 2011

तेरे होंठों के दो फूल-पारस १९७१

पारस फिल्म से तीसरा गीत पेश है जो कि एक युगल गीत है
मुकेश और लता की आवाजों में। होंठों को फूलों का दर्ज़ा प्रदान
किया है कुछ कवियों ने और गीत रचईताओं ने। पंखुड़ियों से
तुलना सामान्य विशेषण है लेकिन फूल कहना उसके दर्जे को
बढ़ाना है। वही हाल है जब नायिका आँखों के दो तारों की बात
करती है। गीतकार ने दोनों के लिए एक स्टार से विशेषण का
इस्तेमाल किया हैं। संतुलन ऐसे ही बनाया जाता है ।

प्यार अँधा होता है और बहरा होता है ये साबित करने के कुछ
प्रतीकों की ज़रुरत पढ़ती है कभी कभी। प्यार में हरी घास भी
पालक पनीर नज़र आने लग जाती है। ये वो खुश-खुमारी है
जिसके आगे अच्छे अच्छे पानी भर लेते हैं। प्यार में लॉजिक
इत्यादि नहीं चला करते हैं। इस मामले में अक्सर भैंस का
आकार अकल से बड़ा ही मालूम पढता है।

गीत कि धुन इमानदारी से कहूं तो- आकर्षक है और ये आनंदित
करने वाला गीत है। गीत का फिल्मांकन भी उम्दा किस्म का है।
इसके अलावा इस गीत में सभी elements मौजूद हैं फ़िल्मी
गीत के, नायक नायिका ने स्नान भी कर लिया है गीत में।

कल्याणजी आनंदजी भाई ने देसी ख़ुशबू वाले संगीत के सहारे
अपनी गाडी इतनी दूर तक दौडाई कि अति शास्त्रीयता की खुमारी
से ग्रसित संगीतकार भी दांतों तले ऊँगली दबाते नज़र आये।




गीत के बोल:

तेरे होंठों के दो फूल प्यारे-प्यारे
तेरे होंठों के दो फूल प्यारे-प्यारे
मेरे प्यार की बहारों के नज़ारे
अब मुझे चमन से क्या लेना, क्या लेना

तेरी आँखों के दो तारे प्यारे-प्यारे
मेरी रातों के चमकते सितारे
अब मुझे गगन से क्या लेना, क्या लेना

तेरे होंठों के दो फूल प्यारे-प्यारे

तेरी काया कंचन-कंचन किरणों का है जिसमें बसेरा
तेरी साँसें महकी-महकी तेरी ज़ुल्फ़ों में ख़ुशबू का डेरा
तेरा महके अंग-अंग जैसे सोने में सुगंध
मुझे चंदन-वन से क्या लेना, क्या लेना

तेरी आँखों के दो तारे प्यारे-प्यारे
मेरी रातों के चमकते सितारे

मैने देखा जबसे तुझको मेरे सपने हुए सिंदूरी
तुझे पा के मेरे जीवन-धन हर कमी हुई मेरी पूरी
पिया एक तेरा प्यार मेरे सोलह सिंगार
मुझे अब दर्पण से क्या लेना, क्या लेना

तेरे होंठों के दो फूल प्यारे-प्यारे
मेरे प्यार की बहारों के नज़ारे

तेरा मुखड़ा दमके-चमके जैसे सागर पे चमके सवेरा
तेरी बाँहें प्यार के झूले तेरी बाँहों में झूले मन मेरा
तेरी मीठी हर बात
तेरी मीठी हर बात
रस की है बरसात
हमें अब सावन से क्या लेना, क्या लेना

तेरे होंठों के दो फूल प्यारे-प्यारे
तेरी आँखों के दो तारे प्यारे-प्यारे
अब मुझे चमन से क्या लेना, क्या लेना
अब मुझे गगन से क्या लेना, क्या लेना

हमें क्या लेना, क्या लेना
हमें क्या लेना, क्या लेना
.................................
Tere honthon ke do phool-Paaras 1971

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