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Tuesday, 11 January 2011

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे-गेटवे ऑफ़ इंडिया १९५७

आपने कफ़ सिरप ज़रूर एक ना एक बार पिया होगा आइये आज
पियें सौम्यता का सिरप। गीत है फिल्म 'गेटवे ऑफ़ इंडिया' से।
इसे दो सौम्य कलाकारों पर फिल्माया गया है-भारत भूषण और
मधुबाला। इस गीत को उतने ही आहिस्ता से गाया भी गया है
जितनी आहिस्ता से ये दोनों कलाकार अपने संवाद बोलते हैं या
अदाएं दिखाते हैं । सितार की आवाज़ के साथ गायकों की आवाज़
का मेल 'सोने में सुहागा' जैसा है। अभी इसी उपमा से काम चलाइए,
दूसरी सूझ नहीं रही है।



गीत के बोल:

रफ़ी : दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
आशा :हम ज़माने से दूर जा बैठे

आशा : दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम ज़माने से दूर जा बैठे

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

रफ़ी : भूल की उनका हमनशीं हो के
रोयेंगे दिल को उम्र भर खो के
भूल की उनका हमनशीं हो के
रोयेंगे दिल को उम्र भर खो के
हाय! क्या चीज़ थी गँवा बैठे

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

आशा : दिल को एक दिन ज़रुर जाना था
वही पहुँचा जहां ठिकाना था
दिल को एक दिन ज़रुर जाना था
वही पहुँचा जहां ठिकाना था
दिल वही दिल जो दिल में जा बैठे

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

रफ़ी : एक दिल ही था ग़मगुसार अपना
मेहरबां खास राज़दार अपना
एक दिल ही था ग़मगुसार अपना
मेहरबां खास राज़दार अपना
गैर का क्यों उसे बना बैठे

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

आशा : गैर भी तो कोई हसीं होगा
दिल यूँ ही दे दिया नहीं होगा
गैर भी तो कोई हसीं होगा
दिल यूँ ही दे दिया नहीं होगा
देख कर कुछ तो चोट खा बैठे

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम जमाने से दूर जा बैठे

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
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Do ghadi wo jo paas aa baithe-Gateway of India 1957

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