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Saturday, 15 January 2011

चला भी आ आ जा रसिया- मन की ऑंखें १९७०

आइये आपका रिवीज़न कराया जाए। ये गीत पहले आपको
सुनवाने का प्रयत्न किया गया था, शायद आपकी नज़र इस पर
नहीं पड़ी हो, तो आज फिर से एक बार सुन लेते हैं इसको। बाकी
का विवरण इधर है-मन की ऑंखें । यूँ समझिये जैसे मास्साब
स्कूल में रिवीज़न कराते हें वैसे ही हम आपका रिवीज़न करा रहे हैं।




गाने के बोल:

चला भी आ, हो
आ जा रसिया
जाने वाले आ जा तेरी याद सताए
ख्वाबों का घरोंदा कहीं टूट न जाए

जाने वाले आ जा तेरी याद सताए
ख्वाबों का घरोंदा कहीं टूट न जाए

चला भी आ, हो
आ जा रसिया
जाने वाले आ जा तेरी याद सताए
ख्वाबों का घरोंदा कहीं टूट न जाए

मुरझा चले हैं अरमान सारे
धुंधला गए हैं सभी उजले नज़ारे
कैसे जियूंगी ग़मों के सहारे
तरसी निगाहें मेरी तुझको सदायें दें ,
धड़कन पुकारे

चला भी आ, हो
आ जा रसिया
दिल तो गया मेरा कहीं जान न जाए
जाने वाले आ जा तेरी याद सताए

चला भी आ...........

मेरी लगन को कहाँ तूने जाना
तेरे लिए तो मेरा दिल है दीवाना
हर साँस मेरी तेरा ही तराना
ये जिंदगानी क्या है
तेरी कहानी है तेरा ही फ़साना

तेरा मेरा वो है रिश्ता
के, टूटे जो बालाएं भी तो टूट न पायें
के, टूटे जो बालाएं भी तो टूट न पायें
के, टूटे जो बालाएं भी तो टूट न पायें
.......................................
Chala bhi aa, aa ja rasiya-Man ki ankhen 1970

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