फिल्म खिलौना के पिछले गीत से एक गीत और याद आ गया जी
ऑटो- मैटी- कली जी । फिल्मों के गीतों में भाई-भाई और भाई-बहन
का रिश्ता जो है। भाई बहन के रिश्ते पर रेमो फर्नान्डीज़ ने एक गीत
भी तो गाया है- ओ मेरी मुन्नी नन्ने मुन्ने 'बाई-बे ' ।
अब जो गीत याद आया है वो भी सुन लीजिये। उदित नारायण और
साधना सरगम की आवाज़ में जिसे फिल्माया गया है गोविंदा और
ममता कूल-करणी पर। वैसे लोग उनकी अदाओं को देख कर कूल के
बजाये उसका विलोम हो जाते थे। इस गीत में भी आपको फायर ब्रिगेड
वाली फ़िल्मी बरसात देखने को मिलेगी। कौन कहता है कि सलमान खान
या धर्मेन्द्र ने ही अपनी कमीज़ परदे पर उतारी है। इस गीत को देख लीजिये
इसमें ये काम अहिस्ता से हो रहा है और मीडिया खामखा सलमान के पीछे
पड़ा रहता है। ये बात और है कि इसमें बनियान भी पहनी गई है कमीज़
के नीचे । ये एक ऑथेंटिक फ़िल्मी गीत है और इसमें एक जोड़ी पोषाक
में ही पूरे गाने का फिल्मांकन हो गया है। निर्देशक को धन्यवाद् -थोडा
इस गीत को रियलिस्टिक बनाने के लिए। चलते चलते आपको बता दिया
जाए कि ये फिल्म का सबसे हिट गीत है। बोल समीर के हैं और संगीत
चित्रगुप्त पुत्र आनंद-मिलिंद का।
गीत के बोल :
महबूब सनम तुझे मेरी कसम
महबूब सनम तुझे मेरी कसम
ना हाथ लगा गोरे तन को
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
महबूब सनम तुझे मेरी कसम
महबूब सनम तुझे मेरी कसम
मुझे देख ना ऐसी नज़रों से
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
देखूं मैं तो देखूं दीवाना बन के
जाए कहाँ जाए दीवानी तन के
कैसे मैं बताऊँ तुझे है क्या पता
ऐसे में हो जाए ना देखो जी खता
ज़रा सा छोने दे गुलाबी गालों को
सम्भालूँ कैसे मैं घनेरे बालों को
इनकार ना कर, तकरार ना कर
इनकार ना कर, तकरार ना कर
ना चल ऐसे बाल खा खा के
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
काहे को सताए अनाड़ी मुझको
ऐसे कैसे दे दूं जवानी तुझको
ख्वाबों कि कहानी अधूरी ना रहे
सीने से लगा ले ये दूरी ना रहे
तेरी इन बातों से बड़ा डर लागे रे
तुझे जब देखूं तो मोहब्बत जागे रे
अब दूर ना जा यूँ पास ना आ
अब दूर ना जा यूँ पास ना आ
आ के ना लिपट मेरी बाँहों से
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
महबूब सनम तुझे मेरी कसम
महबूब सनम तुझे मेरी कसम
मुझे देख ना ऐसी नज़रों से
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
कुछ कुछ होता है
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Mehboob sanam tujhe meri kasam-Kismat 1994
Friday, 14 January 2011
महबूब सनम तुझे मेरी कसम -किस्मत १९९४
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