अब कुछ डाक्युमेंट्री वाले अंदाज़ में विवरण हो जाए
तो कैसा रहे। तो शुरू किया जाए-ये फिल्म अमित बोस ने
डायरेक्ट की है। इस फिल्म की कहानी सतीश भटनागर
ने लिखी है। इस फिल्म में संजय खान हीरो हैं और नंदा
हेरोइन। संजय खान के चरित्र का नाम अरुण है तो नंदा
के चरित्र का नाम रितु। संजय खान जैसा कि आप जानते
ही होंगे नायक फिरोज खान के छोटे भाई हैं। संजय से
छोटा एक और भाई है जिसका नाम है-अकबर खान।
अभिनेत्री नंदा के भाई बहनों की जानकारी नहीं है। गीत
में आप एक कार भी देखेंगे बड़ी सी, जिसका मॉडल पता
नहीं है, गूगल पर सर्च करना पड़ेगा। एक पहाड़ी सी दिखने
रही है जिसपर नायक नायिका दिखाई दे रहे हैं। थोड़े
बहुत संवाद बोलने के बाद नायक गाना गाने लगता है।
नायिका को संवाद का आखिरी हिस्सा पसंद नहीं आया
और वो उससे दूर भाग खड़ी होती है। ज़ाहिर सी बात है कि
अपने मुंह मियां मिट्ठू कोई बनेगा तो कहाँ से सुहाएगा
किसी को। अब आपको गीत के बाकी विवरण देखना हो
तो जैसे डाक्युमेंट्री के अंत में आते हैं उसी अंदाज़ में गाने
के टैग पढ़ डालिए, आपको मालूम पढ़ जायेगा कि गीत में
किस किस ने अपना योगदान दिया है । सर्वप्रथम आएगा
फिल्म किस सन में प्रकट हुई, फिर आएगा गीतकार का नाम,
उसके बाद गायक, नायिका, संगीतकार और अंत में मिलेगा
फिल्म के नायक का नाम।
गीत के बोल:
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे।
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे।
वादियाँ मेरा दामन
जब चुराओगे तन तुम किसी बात से
जब चुराओगे तन तुम किसी बात से
शाख-ए-गिल छेड़ देगी मेरे हाथ से
अपनी ही ज़ुल्फ़ को और उलझोगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे।
वादियाँ मेरा दामन
जबसे मिलने लगीं तुमसे राहें मेरी
जबसे मिलने लगीं तुमसे राहें मेरी
चाँद सूरज बनी दो निगाहें मेरी
तुम कहीं भी रहो तुम नज़र आओगे।
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे।
वादियाँ मेरा दामन
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Wadiyan Mera Daaman-Abhilasha 1968
Friday, 10 December 2010
वादियाँ मेरा दामन १ -अभिलाषा १९६८
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