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Sunday, 12 December 2010

ऐसे तो ना देखो-भीगी रात १९६५

इसके मुखड़े के बोल पढ़ के तीन देवियाँ के गाने की
गलतफ़हमी हो जाती है। वो गीत रफ़ी का गाया एकल
गीत था जबकि प्रस्तुत गीत सुमन और रफ़ी का गाया
युगल गीत है। कालिदास के निर्देशन में बनी फिल्म
भीगी रात का संगीत अच्छा है। हमारी कोशिश है
की आपको पहले कम प्रचलित और कम सुने गए गीत
सुनवाए जाएँ ताकि आपको कुछ अतिरिक्त जानकारी मिलती
रहे। रईसी वाला गीत है। नायक नायिका कार में बैठ
के घूमने निकले है और गीत भी गाते हैं। गीत के
नीचे आपको एक कमेन्ट मिलेगा-grossly underrated for
obvious रेअसोंस- इस तरह की टिप्पणियों से अर्थ निकलना
बड़ी टेढ़ी खीर होता है। या तो लिखने वाला ये कहना
चाहता है कि रफ़ी और सुमन के गाये युगल गीत लता-रफ़ी
के गाये युगल गीतों की तुलना में कमतर आंके जाते हैं
या उसका इशारा दूसरे संगीतकारों और रोशन के
संगीत में तुलना से है। फिलहाल सम्भावना पहले कारण
की ज्यादा नज़र आ रही है। सुमन को प्रथम श्रेणी की
गायिका मानने से कई संगीत प्रेमी इनकार जो करते हैं
सीधी वजह उनकी आवाज़ लता की आवाज़ के सबसे निकट
होना। खैर ये तुलना वुलना का चक्कर छोड़ें और सुनें इस
मधुर गीत को।




भीगी रात के पिछले गीत में नायिका रूठी हुई थी। इसमें थोड़ी
खुश नज़र आ रही है और कुछ खिसियाने अंदाज़ में नायक के
साथ गीत गाना शुरू करती हैं-जैसे कहना चाह रही हों-"शर्म से
यहीं गड़ जाएँ ना कहीं हम" !!




गीत के बोल:

ऐसे तो ना देखिये के बहक जाएँ कहीं हम
आखिर को एक इंसान हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम

हाय, ऐसी ना कहो बात के मर जाएँ यहीं हम
आखिर को एक इंसान है फ़रिश्ता तो नहीं हम

अंगडाई सी लेती है जो ख़ुशबू भरी जुल्फें
ख़ुशबू भरी जुल्फें
गिरती हैं तेरे सुर्ख लबों पर तेरी जुल्फें
लबों पर तेरी जुल्फें
जुल्फें ना तेरी चूम लें
जुल्फें ना तेरी चूम लें ऐ माहजबीं हम
आखिर को एक इंसान हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम

आ हा हा, आ आ आ आ आ, हं हं हं हं हं

सुन सुन के तेरी बात नशा छाने लगा है
नशा छाने लगा है
खुद अपने भी प्यार तो कुछ आने लगा है
है ऐ ऐ, आने लगा है।

रखना है कहीं पाँव तो
रखना है कहीं पाँव तो रखते हैं कहीं हम
आखिर को एक इंसान है फ़रिश्ता तो नहीं हम

भीगा सा ये रुख-ए-नाज़ ये हल्का सा पसीना
ये हल्का सा पसीना
हाय
ये नाचती आँखों के भंवर दिल का सफीना
दिल का सफीना
सोचा है के अब डूब के
सोचा है के अब डूब के रह जाएँ यहीं हम
आखिर को एक इंसान हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम

हाय, ऐसी ना कहो बात के मर जाएँ यहीं हम
आखिर को एक इंसान हैं फ़रिश्ता तो नहीं हम

आ हा हा, आ आ आ आ आ, हं हं हं हं हं
हं हं हं हं हं हं हं
......................................................................
Aise to na dekhiye ke behak jayen-Bheegi Raat 1965

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