Social Icons

Sunday, 12 December 2010

साज़-ए-दिल छेड़ दे-पासपोर्ट १९६१

सुन्दर , खूबसूरत और ब्यूटिफुल इन तीन शब्दों में इस
गीत को बयां किया जा सकता है। वजह-साफ़ है, धुन
बढ़िया है, बोल बढ़िया है और नायिका भी बढ़िया है, नायक
भी स्मार्ट है। और क्या चाहिए विडियो गीत में हमको।
कल्याणजी आनंदजी की सबसे पहली कुछ फिल्मों में
से एक है-पासपोर्ट। यूँ कहें तो कल्याणजी आनंदजी की जोड़ी
बनने के बाद लता और रफ़ी का गाया दूसरा युगल गीत।
इसके पहले वे कल्याणजी वीर जी शाह के संगीत निर्देशन
में ६ युगल गीत गा चुके थे। गीत लिखा है फारूख कैसर ने
और इसे फिल्माया गया है मधुबाला और प्रदीप कुमार पर।
मुखड़े को थोडा अलग तरीके से गवाया गया है। हर पंक्ति
दो दो बार गाई जा रही है फिर भी अटपटी नहीं लगती।




गीत के बोल:

साज-ए-दिल छेड़ दे
साज-ए-दिल छेड़ दे
क्या हसीं रात है
क्या हसीं रात है
कुछ नहीं चाहिए
कुछ नहीं चाहिए
तू अगर साथ है
तू अगर साथ है

साज-ए-दिल छेड़ दे

मुझे चाँद क्यूँ ताकता है
मुझे चाँद क्यूँ ताकता है
मेरा कौन ये लगता है
मुझे शक यही होता है
मुझे शक यही होता है
मेरे चाँद से ये जलता है
हमें इसकी क्या परवाह है
हमें इसकी क्या परवाह है

साज-ए-दिल छेड़ दे

तेरे दर पे सर झुक जाए
तेरे दर पे सर झुक जाए
यही ज़िन्दगी रुक जाए
कली दिल की ये खिल जाए
कली दिल की ये खिल जाए
ख़ुशी प्यार की मिल जाए
कभी फिर गमी ना आये
कभी फिर गमी ना आये

साज-ए-दिल छेड़ दे
...................................
Saaz-e-dil chhed de-Passport 1961

No comments:

Post a Comment

 
 
www.lyrics2nd.blogspot.com