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Tuesday, 2 August 2011

ये चाँद सा रोशन चेहरा-काश्मीर की कली १९६४

प्रस्तुत गीत में ऐसा क्या खास है जो जनता इसे बेहद पसंद करती है, खोजिये !

जवाब बहुत से हैं- शम्मी कपूर का शरारती उछल्कूदियाना अंदाज़ है, शर्मिला टैगोर
की खूबसूरती और बिनाका स्माइल है, कश्मीर की मुफ्त सैर है, एस एच बिहारी
के बोल हैं, ओ पी नय्यर का जादुई संगीत है और रफ़ी की मोहक आवाज़ है।

बस बोलों में एक बेसिक फॉल्ट है वो ये कि झील सी ऑंखें नायिका की ज़रूर होंगी
मगर नीला रंग नायक की आँखों का है। अब गीत बढ़िया हो तो फॉल्ट वॉल्ट गए
तेल लेने, है न ?

इतना विवरण पर्याप्त है या पांच पन्ने का निबंध लिखूं.............




गीत के बोल:

ये चाँद सा रोशन चेहरा
जुल्फों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली ऑंखें
कोई राज़ है उनमें गहरा

तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया

ये चाँद सा रोशन चेहरा
जुल्फों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली ऑंखें
कोई राज़ है उनमें गहरा

तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया

एक चीज़ क़यामत भी है
लोगों से सुना करते थे
तुम्हें देख के मैंने माना
वो ठीक कहा करते थे
वो ठीक कहा करते थे

है चाल में तेरी ज़ालिम
कुछ ऐसी बाला का जादू
सौ बार संभाला दिल को
मगर हो के रहा बेकाबू
तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया

ये चाँद सा रोशन चेहरा
जुल्फों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली ऑंखें
कोई राज़ है उनमें गहरा

तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया

हर सुबह किरण की लाली
है रंग तेरे गालों का
हर शाम की चादर काली
साया है तेरे बालों का
हर सुबह किरण की लाली
है रंग तेरे गालों का
हर शाम की चादर काली
साया है तेरे बालों का
साया है तेरे बालों का

तू बलखाती एक नदिया
हर मौज तेरी अंगडाई
जो इन मौजों में डूबा
उसने ही दुनिया पायी
तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया

ये चाँद सा रोशन चेहरा
जुल्फों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली ऑंखें
कोई राज़ है उनमें गहरा

तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया

मैं खोज में हूँ मंजिल की
और मंजिल पास है मेरे
मुखड़े से हटा दो आँचल
हो जाएँ दूर अँधेरे
हो जाएँ दूर अँधेरे

माना के ये जलवे तेरे
कर देंगे मुझे दीवाना
जी भर के ज़रा मैं देखूं
अंदाज़ तेरा मस्ताना

तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया

ये चाँद सा रोशन चेहरा
जुल्फों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली ऑंखें
कोई राज़ है उनमें गहरा

तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया
तारीफ़ करूं क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया
......................................
Ye chand sa roshan chehra-Kashmir ki kali 1964

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