भीगने के बाद कपडे उतार कर ड्रम में बैठ कर मधुर गीत कैसे गाया जाए
राज कपूर सिखा रहे हैं फिल्म आह के इस गीत में। उनके साथ नर्गिस की
जोड़ी है. लता और मुकेश की आवाज़ में ये सदाबहार युगल गीत सुनिए।
इसे भी हसरत जयपुरी ने लिखा है और धुन बनायीं है शंकर जयकिशन ने।
फिल्म बरसात के साथ १९४९ में शुरू हुयी शैलेन्द्र, हसरत, शंकर जयकिशन
की चौकड़ी की संगीतमय धमा-चौकड़ी ने काफी समय तक हिंदी फिल्म संगीत
जगत में अपना डंका बजाया ।
गीत के बोल:
जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
आवाज़ ये किसकी आती है
जो छेड़ के दिल को जाती है
आवाज़ ये किसकी आती है
जो छेड़ के दिल को जाती है
मैं सुन के जिसे शर्मा जाऊँ
है कौन जो दिल में समाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
जाने न नज़र पहचाने जिगर
ये कौन जो दिल पर छाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
ढूँढेंगे उसे हम तारों में
सावन की ठण्डी बहारों में
ढूँढेंगे उसे हम तारों में
सावन की ठण्डी बहारों में
पर हम भी किसी से कम तो नहीं
क्यों रूप को अपने छुपाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
मुझे रोज़ रोज़ तड़पाया
बिन देखे जिसको प्यार करूँ
गर देखूँ उस को जान भी दूँ
बिन देखे जिसको प्यार करूँ
गर देखूँ उस को जान भी दूँ
एक बार कहो ओ जादूगर
ये कौन सा खेल रचाया
मेरा अंग अंग मुस्काया
मेरा अंग अंग मुस्काया
..................................
Jaane na nazar-Aah 1953
Tuesday, 2 August 2011
जाने न नज़र पहचाने जिगर-आह १९५३
Labels:
Aah,
Hasrat Jaipuri,
Lata Mangeshkar,
Mukesh,
Nargis,
Raj Kapoor 1953,
Shankar Jaikishan
Subscribe to:
Post Comments (Atom)



No comments:
Post a Comment