गंभीर किस्म के बोल और लाजवाब गायकी के साथ दैवीय संगीत का
मिश्रण है इस गीत में। किशोर कुमार और वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म
गर्ल फ्रेंड से ये गीत लिया गया है जिसे स्वयं किशोर कुमार ने गाया है।
साहिर लुधियानवी के बोलों को सुरों में पिरोया है हेमंत कुमार ने।
ये एक सदाबाहर गीत है जिसे आप आसानी से गुनगुना सकते है। इसे
आज भी सुनिए तो ताज़ा सा लगता है। इसके बोल ऐसे हैं जो आपको
दुनिया की हकीकत से साक्षात्कार करते चलते हैं और जैसे सुख-दुःख
की तुलना की जाती है गीतकार ने रोना-हंसना को सहज तरीके से सरल
शब्दों के जाल में बांध दिया है। यहाँ पर आ के शैलेन्द्र और साहिर के
अंदाज़ का संगम हो जाता है।
गीत के बोल:
आज रोना पड़ा तो समझे
हँसने का मोल क्या है
अपना सपना, खोना पड़ा तो समझे
आज रोना पड़ा तो समझे
हँसने का मोल क्या है
अपना सपना खोना पड़ा तो समझे
ख़्वाबों की हक़ीक़त क्या थी
अरमानों की क़ीमत क्या थी
अपनों की मुहब्बत क्या थी
ग़ैर होना पड़ा तो समझे
आज रोना पड़ा तो समझे
सुख मिलता है किस मुश्किल से
क्या करती है दुनिया दिल से
इस रंग भरी महफ़िल से
दूर होना पड़ा तो समझे
आज रोना पड़ा तो समझे
निकले थे जिन्हें अपनाने
वो लोग थे सब बेगाने
इस बात को हम दीवाने
चैन खोना पड़ा तो समझे
आज रोना पड़ा तो समझे
हँसने का मोल क्या है
अपना सपना खोना पड़ा तो समझे
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Aaj rona pada to samjhe-Girl Friend 1960
Thursday, 4 August 2011
आज रोना पड़ा तो समझे-गर्ल फ्रेंड १९६०
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