कुछ सदाबहार धुनें दूसरे देशों की भीं सदाबहार धुनें हुआ करती हैं.
सन १९५५ के जूलियस ला रोसा के "डोमानी" को ही लीजिए. ये
आनंदित करने वाली धुन है. बोल आपके समझ आयें तो मुझे
भी मदद ज़रूर कीजियेगा समझने में.
सन १९६१ में इसका देसी संस्करण अवतरित हुआ फिल्म झुमरू में.
इस गीत को किशोर के सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले गीतों
में स्थान प्राप्त है. गीत का देसीकरण होने पर उसमें आशा भोसले
की आवाज़ में शुरुआती गुनगुनाहट और किशोर की योडलिंग मिलायी
गयी-लीजिए तैयार एक कर्णप्रिय हिंदी गीत. फिल्म के गीत मजरूह
सुल्तानपुरी ने लिखे हैं और संगीत स्वयं किशोर कुमार का है.
इसको कहते हैं अच्छे संगीत का ग्लोबलायिजेशन. ये होना ज़रूर चाहिए
मगर मर्यादाओं के भीतर. क्रेडिट देने के मामले में हम हमेशा पीछे ही
रहते हैं. यू ट्यूब पर गीत के नीचे छपे कमेन्ट ज़रूर पढ़ें, आनंद आएगा.
गीत के बोल:
ठण्डी हवा ये चाँदनी सुहानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
लम्बी सी एक डगर है ज़िंदगानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
आ हा हा आ, हा आ आ हा हा
सारे हसीं नज़ारे, सपनों में खो गये
सर रख के आसमाँ पे, पर्वत भी सो गये
मेरे दिल, तू सुना, कोई ऐसी दास्तां
जिसको सुनकर, मिले चैन मुझे मेरी जाँ
मंज़िल है अन्जानी
ठण्डी हवा ये चाँदनी सुहानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
ऐसे मैं चल रहा हूँ पेड़ों की छाँव में
जैसे कोई सितारा बादल के गाँव में
मेरे दिल तू सुना, कोई ऐसी दास्तां
जिसको सुनकर, मिले चैन मुझे मेरी जाँ
मंज़िल है अन्जानी
ठण्डी हवा ये चाँदनी सुहानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
थोड़ी सी रात बीती, थोड़ी सी राह गई
खामोश रुत ना जाने, क्या बात कह गई
मेरे दिल तू सुना, कोई ऐसी दास्तां
जिसको सुनकर, मिले चैन मुझे मेरी जाँ
मंज़िल है अन्जानी
ठण्डी हवा ये चाँदनी सुहानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
ठण्डी हवा ये चाँदनी सुहानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
लम्बी सी एक डगर है ज़िंदगानी
ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी
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Thandi hawa ye chandni suhani-Jhumroo 1961
Tuesday, 19 July 2011
ठंडी हवा ये चांदनी सुहानी-झुमरू १९६१
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