सेब सौ रूपये किलो हैं आजकल ? मीडिया का बस चले तो दो सौ
रूपये भी बिकवा दे. किसी एक जगह कोई चीज़ महंगी मिलने लगती
है तो चैनल वाले उसका ढोल पीट पीट कर पूरे देश को बतला देते हैं .
इस प्रचार का मकसद क्या है समझ नहीं आता, इतना ज़रूर होता है
कि बाकी सब जगह उस चीज़ का भाव दूसरे दिन से बढ़ जाता है.
यू -ट्यूब पर गीत में जिस फल को जनता सेब के रूप में पहचान
रही है, मुझे तो वो संतरा या मौसंबी नज़र आ रही है. अगर वाकई
सेब है तो किसी पीलिया ग्रस्त बगीचे के होंगे.
दक्षिण भारत की कुछ ८० के दशक की फिल्मों से ये ट्रेंड शुरू हुआ
जिसमें कुछ तो सब्जी फल उछलते हैं, कुछ नायक नायिकाएं. ये भी
एक दक्षिण भारत में निर्मित फिल्म है जिसमें नायक जीतेंद्र के साथ
मीनाक्षी शेषाद्री हैं. इस फिल्म के निर्देशक हैं-के. राघवेन्द्र राव(बी. ऐ.)
और फिल्म का नाम है होशियार. सन १९८४ में ये फिल्म रिलीज़ हुई थी.
काफी होशियारी से ये फिल्म बनायीं गयी थी जिसने कम समय में ही
निर्माण की लागत वसूल ली.
गीत के बोल:
चोली तेरे तन पर, तन पर कसी कसी
रहती है तू मन में, मन में बसी बसी
जाए न असर तेरी आँखों का
उतरे न ज़हर तेरी बातों का
जाए न असर तेरी आँखों का
उतरे न ज़हर तेरी बातों का
ज़िन्दगी डसी डसी डसी डसी
तेरे तेरे मुख पर मुख पर हंसी हसनी
तेरी छबि दिल में दिल में बसी बसी
घेरा है मुझे तेरी राहों में
जकड़ा है मुझे तेरी बाँहों ने
घेरा है मुझे तेरी राहों में
जकड़ा है मुझे तेरी बाँहों ने
जवानी हंसी हंसी हंसी हंसी
चोली तेरे तन पर, तन पर कसी कसी
आ आ आ आ आ
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Choli tere tan par-Hoshiyar 1984
Sunday, 10 July 2011
चोली तेरे तन पर-होशियार १९८४
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