बारिश के मौसम में फिर एक गीत और याद आ गया. सन १९८० की
फ़िल्म जज़्बात से अगला गीत पेश है. एक अनजान सी फ़िल्म है
जिसके गीत पर ज़रीना वहाब होंठ हिला रही हैं. महेंद्र देहलवी के बोलों
को संगीत में ढाला है राजकमल ने और आवाज़ है सुलक्षणा पंडित की .
ज़रीना वहाब ने इस गीत पर काफी मेहनत की होगी. फिल्म गर ज्यादा
न चले तो सब बेकार हो जाता है. महेंद्र देहलवी साहब ने सावन को आग
लगा दी है इस गीत में. फ़िल्मी गीत में कभी सावन आग लगाता है तो
कभी सावन को आग लगा दी जाती है.
गीत के बोल:
हो हो हो हो हो हो
हो हो हो हो हो हो
हो ओ ओ हो
हो ओ ओ ओ
झूमता गाता सावन आया
पर न लाया साजन को
झूमता गाता सावन आया
पर न लाया साजन को
जो सावन बिन साजन आए
आग लगे उस सावन को
झूमता गाता सावन आया
पर न लाया साजन को
जो सावन बिन साजन आए
आग लगे उस सावन को
झूमता गाता सावन आया
सावन आया, हो ओ ओ, हो ओ ओ
रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे
ऐसे में प्रियतम ये मनवा
तेरे मिलन को तरसे
सखियाँ झूलें, हाय प्यार के झूले
उसको झूला कौन झुलाये
जिसको साजन भूले
ओ आ जा पिया ओ आ जा रे
झुलना झुला जा रे
ओ आ जा पिया
ओ ओ, झुलना झुला जा रे
तकते हैं नैन तेरी राह दिनन
तू अब तो दरस दिखा जा रे
तेरे नाम की
तेरे नाम की रट लागी है
मन तड़पे तेरे दर्शन को
जो सावन बिन साजन आए
आग लगे उस सावन को
झूमता गाता सावन आया
सावन आया, हो ओ ओ, हो ओ ओ
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Jhoomta gaata sawan aaya-Jazbaat 1980
Sunday, 10 July 2011
झूमता गाता सावन आया -जज़्बात १९८०
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