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Wednesday, 15 June 2011

उड़ के पवन के...रुक जा ऐ हवा-शागिर्द १९६७

एक मधुर गीत सुनवाते हैं आपको लता मंगेशकर
की आवाज़ में। मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीत की
तर्ज़ बनाई है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने।

सायरा बानो और जॉय मुखर्जी पर फिल्माया गया ये गीत
आपको फिल्म शागिर्द में देखने को मिलेगा। कर्णप्रिय होने के
साथ साथ दर्शनीय गीत है और इसका आकर्षण पक्षियों की
आवाजें प्रचुर मात्र में सुनाई देती हैं जो इसे खूबसूरत बनाती हैं।

अल्हड, मस्त बोल और अदाओं वाला ये गीत रात्रि के वक़्त सुनने
में सबसे ज्यादा आनंद देता है।



गीत के बोल:


हो ओ ओ ओ
रुक जा, रुक जा, रुक जा

उड़ के पवन के रंग चलूंगी
मैं भी तिहारे संग चलूंगी

रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार
रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार


उड़ के पवन के रंग चलूंगी
मैं भी तिहारे संग चलूंगी

रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार
रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार


परबत परबत तेरी महक है
लट मेरी भी दूर तलक है
देखो रे डाली डाली
देखो रे डाली डाली
खिली मेरे तन की लाली
हो ओ ओ ओ ओ ओ रुक जा
जो तू है वोही मैं हूँ

रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार
रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार

झरना दर्पण ले के निहारे
बूंदों का गहना तन पे संवारे
लहरें झूला झुलायें
लहरें झूला झुलायें
मेरे लिए गीत गएँ
हो ओ ओ ओ ओ ओ रुक जा
पनघट की, मैं हूँ गोरी

रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार
रुक जा, जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार

हो ओ ओ, हो ओ ओ

देख ज़रा सा तू मुझे छू के
पग बजते हैं बिन घुँघरू के
जो तेरी ताल में है
जो तेरी ताल में है
वही मेरी चाल में है
हो ओ ओ ओ ओ ओ रुक जा
मैं हिरनिया, मैं चकोरी

रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार

उड़ के पवन के रंग चलूंगी
मैं भी तिहारे संग चलूंगी

रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार
रुक जा ऐ हवा, थम जा ऐ बहार
...........................
Ud ke pawan ke...ruk ja ae hawa-Shagird 1967

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