सन १९६७ वाले पिछले गीत के सुरीले प्यानो ने एक और सुरीले
गीत की याद ताज़ा करवा दी। उल्लेखनीय है कि ये गीत एक साल बाद
यानि कि १९६८ में प्रकट हुआ। इस गीत में प्यानो के उस्ताद शंकर
जयकिशन का जादू है। संगीतकार जोड़ी शंकर जयकिशन ने प्यानो
का बहुत इस्तेमाल किया है अपने गीतों में। ये भी ऐसा ही एक गीत
है जिसमें गीत का कद कलाकारों के अभिनय से बड़ा प्रतीत होगा
आपको। ये मेरा एक पसंदीदा गीत है। गीत परदे पर गा रहे हैं
राजकुमार। गीत के बोल और कलाकारों के हाव भाव से आप
अचम्भे में पढ़ जायेंगे कि ख़ुशी का इज़हार हो रहा है या दुःख का।
इस भाव को भांपने के लिए आपको ये फिल्म देखनी पड़ेगी। वैसे
अगर आप माला सिन्हा का चेहरा ध्यान से देखेंगे तो कुछ कुछ
समझ पाएंगे कि क्या माजरा है।
हसरत जयपुरी के लिखे बोलों में प्राण फूंके हैं मोहम्मद रफ़ी ने
संगीतकार शंकर जयकिशन के इशारों पर।
..........................
गीत के बोल:
हा आ आ , हा आ आ आ
जो गुज़र रही है मुझपर उसे कैसे मैं बताऊँ
जो गुज़र रही है मुझपर उसे कैसे मैं बताऊँ
वो ख़ुशी मिली है मुझको, मैं ख़ुशी से मर ना जाऊं
वो ख़ुशी मिली है मुझको, मैं ख़ुशी से मर ना जाऊं
मेरे दिल की धडकनों का ये पयाम तुमको पहुंचे
मैं तुम्हारा हमनशीन हूँ ये सलाम तुमको पहुंचे
उसे बंदगी मैं समझूं जो तुम्हारे काम आऊँ
वो ख़ुशी मिली है मुझको, मैं ख़ुशी से मर ना जाऊं
हाँ, जो गुज़र रही है मुझपर उसे कैसे मैं बताऊँ
मेरे दिल की महफिलों में वो मुकाम है तुम्हारा
के खुदा के बाद लब पर, बस नाम है तुम्हारा
मेरी आरजू यही है, मैं तुम्हारे गीत गाऊँ
वो ख़ुशी मिली है मुझको, मैं ख़ुशी से मर ना जाऊं
हाँ, जो गुज़र रही है मुझपर उसे कैसे मैं बताऊँ
.......................................
Jo guzar rahi hai mujhpar-Mere huzoor 1968
Tuesday, 12 April 2011
जो गुज़र रही है मुझपर-मेरे हुज़ूर १९६८
Labels:
1968,
Hasrat Jaipuri,
Jeetendra,
Mala Sinha,
Mohd. Rafi,
Rajkumar,
Shankar Jaikishan
Subscribe to:
Post Comments (Atom)



No comments:
Post a Comment