पहाड़ी पर ही घूमा जाए थोड़ी देर। फिल्म बरसात में बहुत
सी पहाड़ियां दिखाई देती हैं। अगला गीत जो आपको सुनवाया
जा रहा है वो भी राग पहाड़ी पर आधारित है. इस गीत को भी
लता मंगेशकर ने गाया है। शंकर जयकिशन की बतौर स्वतंत्र
संगीत निर्देशक पहली फिल्म में मधुर गीतों की ओवरलोडिंग
थी। ऐसा लगा मानो बहुत दिन से वे ढेर सारे मधुर गीत सुनाने
के लिए बेताब थे। सारी कसर उन्होंने फिल्म बरसात में निकाल
ली। उन दिनों वैसे भी एक फिल्म में ढेर सारे गीत हुआ करते थे,
इसलिए सब चल गया और ऐसा चला कि आज तक पब्लिक उसके
जादू से मुक्त नहीं हुई है। बरसात ने संगीत-वाणिज्य के क्षेत्र में धन
की बहुत अच्छी बरसात की। गीत का फिल्मांकन आला दर्जे का है
और चकित करने वाला है। गीत में आपको विलंबित और द्रुत दोनों
गत का आनंद मिलेगा।
गीत के बोल:
मेरी आँखों में बस गया कोई रे
मोहे नींद न आये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई रे
मोहे नींद न आये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई रे
मोहे नींद न आये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई
मुस्काये जब रात की बिंदिया, हो ओ ओ
मुस्काये जब रात की बिंदिया
उड़ जाये आँखों से निंदिया
उड़ जाये आँखों से निंदिया
ठंडी ठंडी मैं आहें भरूँ
ठंडी ठंडी मैं आहें भरूँ
हाये मैं का करूँ
हाये मैं का करूँ
हाये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई
बात करें जब चाँद सितारे
बात करें जब चाँद सितारे
जल बरसायें नैन हमारे
जल बरसायें नैन हमारे
तेरी याद में रो रो मरूँ
तेरी याद में रो रो मरूँ
हाये मैं का करूँ
हाये मैं का करूँ
हाये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई रे
मोहे नींद न आये मैं का करूँ
मेरी आँखों में बस गया कोई
Friday, 3 December 2010
मेरी आँखों में बस गया कोई रे-बरसात १९४९
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