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Friday, 17 December 2010

सपने में सजन से दो बातें-गेटवे ऑफ़ इंडिया १९५७

हिंदी फ़िल्में सभी नामों से बना करती हैं। प्याज़, आलू, मिर्च का
नाम शायद अभी तक फिल्मकारों के दिमाग में नहीं आया है।
वो शायद किसी पत्रकार के दिमाग में आये जो फिल्म बनाने की
तमन्ना रखता हो। गेट के नाम से दो फ़िल्में मेरे ध्यान में
आती हैं, 'गेटवे ऑफ़ इंडिया' और 'चाइना गेट'। बाकी के गेट
अभी शायद बाकी हैं । इस फिल्म से एक गीत सुनिए जो कि
राजेंद्र कृष्ण का लिखा हुआ है और संगीत मदन मोहन ने तैयार
किया है। लता मंगेशकर के गाये इस गीत को सुने काफी दिन
हो गए थे सोचा आपको भी सुनवा दिया जाए । ब्लॉग की सूची
में भी देखा तो यह गीत मौजूद नहीं था। इस गीत का विडियो
यू ट्यूब पर उपलब्ध नहीं है, ऑडियो सुन कर काम चला लें।



गीत के बोल:


सपने में सजन से दो बातें
इक याद रही इक भूल गए

सपने में सजन से दो बातें

इक रात मिलन की आई थी
और उस के बद जुदाई थी
ग़म और ख़ुशी की दो रातें
इक याद रही इक भूल गए

सपने में सजन से दो बातें

इक सावन रुत लाई झूले
दूजी में सजन हम को भूले
देखी हैं यही दो बरसातें
इक याद रही इक भूल गए

सपने में सजन से दो बातें

इक रोज़ तुम्हें दिल दे बेठे
फिर रोग बिरहा का ले बेठे
ये प्यार की हैं दो सौग़ातें
इक याद रही इक भूल गए

सपने में सजन से दो बातें
इक याद रही इक भूल गए

सपने में सजन से दो बातें
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Sapne mein sajan se do batein-Gateway of India 1957

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