एक दुर्लभ गीत सुनिए जो मुझे पसंद है। ये है फिल्म 'घर घर
की बात' से। युगल गीत जिसे लता और मन्ना डे ना गाया है
इसको फिल्माया गया है नायक सुरेश और महमूद की बहन
नायिका मीनू मुमताज़ पर। गुलशन बावरा ने इसके बोल लिखे
हैं और संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने। फिल्म पिटने की
स्तिथि में कई मधुर गीत डब्बे में बंद हो के रह जाते हैं-उसका एक
अच्छा उदाहरण है प्रस्तुत गीत। संगीत वास्तव में कल्याणजी वीरजी
शाह यानि बड़े भाई ने तैयार किया है। छोटा भाई सन १९६० के बाद
कल्याणजी के साथ जुड़ा और जोड़ी बनी-कल्याणजी आनंदजी।
गौरतलब है नायिका के घाघरे और नायक के बुश्शर्ट का प्रिंट
एक ही कपडे की मिल के लगते हैं। विडियो रंगीन होता तो शायद
निष्कर्ष पर पहुंचना आसान हो जाता।
गीत के बोल:
आ जा मिल के चलें वहां
फूल प्यार के खिले जहाँ
ले के हाथों में हाथ
चलें साथ साथ
मंजिल कि खोज में हम
संग लायी है प्रीत
गएँ प्यार के गीत
यही कह रहा है मौसम
ले के हाथों में हाथ
चलें साथ साथ
मंजिल कि खोज में हम
संग लायी है प्रीत
गएँ प्यार के गीत
यही कह रहा है मौसम
आ जा मिलके चलें वहां
फूल प्यार के खिले जहाँ
एक दर्द मीठा बन के
तू समा गया है दिल में
एक दर्द मीठा बन के
तू समा गया है दिल में
दिल कहता है छुप जाऊं मैं
तेरे हसीं आंचल में
रंगीन फिजा ये ठंडी हवा
आ झूम के लग जा गले
ले के हाथों में हाथ
चलें साथ साथ
मंजिल कि खोज में हम
संग लायी है प्रीत
गएँ प्यार के गीत
यही कह रहा है मौसम
आ जा मिलके चलें वहां
फूल प्यार के खिले जहाँ
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Aa jaa mil ke chalen wahan-Ghar ghar ki baat 1959
Friday, 17 December 2010
आ जा मिल के चलें वहां-घर घर की बात १९५९
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