बिना विवरण वाला एक और गीत प्रस्तुत है। आपको पिछला
गीत बहुत पसंद आया तो मैंने सोचा एक और दे दिया जाए-
गीत, विवरण रहित। हीरो को आप पहचान ही गए हैं।
अरे भाई विवरण दे दिया तो आप सुनेंगे क्या। गीत खुद
अपना विवरण देने में समर्थ जो है। सुन भी लीजिये और
देख भी लीजिये। पूरे पैसे वसूल की गारंटी है। गीत के बोल
अलबत्ता दिए देते हैं आपकी सहूलियत के लिए।
गीत के बोल:
ऊपर वाला दुखियों की नाहीं सुनता रे
सोता है, बहुत जागा है ना
ऊपर वाला दुखियों की नहीं सुनता रे
कौन है जो उसको गगन से उतारे
बन-बन-बन मेरे जैसा बन
इस जीवन का यही है जतन, साला यही है जतन
अरे गम की आग बुझाना है तो हमसे सीखो यार
आग लगी
आग लगी हमारी झोपडिया में हम गावें मल्हार
देख भाई कितने तमाशे की जिंदगानी हमार
हे भोले-भाले ललवा खाए जा रोटी बासी
अरे ये ही खा के जवां होगा बेटा
भोले-भाले ललवा खाए जा रोटी बासी
बड़ा हो के बनेगा साहेब का चपरासी
खेल-खेल-खेल माती में होली खेल
गाल में गुलाल है ना जुल्फों में तेल
अरे अपनी भी जवानी क्या है सुना तैने यार
आग लगी
आग लगी हमारी झोपडिया में हम गावें मल्हार
हे सजनी तू काहे आई नगरी हमारी
चल जा भाग जा भाग
सजनी तू काहे आई नगरी हमारी
धरे सा बिदेसी बाबू बहियाँ तुम्हारी
थाम-थाम-थाम गोरी ज़रा थाम
नाहीं लुट जायेगी राम कसम
अरे केहूं नाहीं आएगा रे सुन के पुकार
आग लगी
आग लगी हमारी झोपडिया में हम गावें मल्हार
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Aag lagi hamri jhopadiya mein-Sagina 1974
Saturday, 18 December 2010
आग लगी हमरी झोपडिया में-सगीना १९७४
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