इस गीत को देख कर जाने क्यूँ 'बर्फ पर निबंध' याद आ जाता है ।
इस्कूल में एक बार निबंध लिखने का कार्यक्रम हुआ(अक्सर हो जाया
करता था) । हमने तो हाथ खड़े कर दिए और मार खा ली मगर एक
निबंध जो पढने को मिला वो इस प्रकार से था- बर्फ आइस फैक्ट्री से
आती है। ये बड़ी बड़ी सिल्लियों के आकर में आती है । इसे तोड़ कर
और बिना तोड़े भी बेचा जाता है। तोड़ फोड़ करने के बाद इसका प्रयोग
गन्ने के रस को ठंडा करने और उसकी मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है।
इसे पिघलने से बचाने के लिए बोरे में लपेट कर रखा जाता है......................
उसे बाद के हिस्से में कुछ इस प्रकार से था- जो बर्फ हिंदी फिल्मों में
दिखाई जाती है वो दूसरी किस्म की बर्फ होती है । वो खाने के काम नहीं आती ।
वो कश्मीर में पायी जाती है जिसके ऊपर फिल्म के हीरो हीरोइन नाचते- कूदते
और गाना गाते हैं।
गीत है फिल्म पिघलता आसमान का जिसे देख कर दर्शक ज्यादा नहीं पिघले
और फिल्म थोड़ा बहुत चलने के बाद सिनेमा गृहों से गायब हो गई।
गीत के बोल:
आ आ आ आ आ आ आ आ आ
मुझे ऐसा मिला मोती
ऐसा मोती कोई सागर में ना होगा
मुझे ऐसा मिला मोती
ऐसा मोती कोई सागर में ना होगा
मुझे ऐसा मिला तारा
ऐसा तारा कोई अम्बर में ना होगा
तन जिसका है मनभावन
मन जिसका पवन पवन
तन जिसका है मनभावन
मन जिसका पवन पवन
ऐसे वो मिला जैसे के मिले
प्यासी धरती को सावन
मुझे ऐसा मिला मोती
ऐसा मोती कोई सागर में ना होगा
मुझे ऐसा मिला तारा
ऐसा तारा कोई अम्बर में ना होगा
महलों से मैं कब मानी
दौलत को ना दौलत जानी
महलों से मैं कब मानी
दौलत को ना दौलत जानी
सारा ही जहाँ सूरत देखे
मैं सीरत की दीवानी
मुझे ऐसा मिला मोती
ऐसा मोती कोई सागर में ना होगा
मुझे ऐसा मिला तारा
ऐसा तारा कोई अम्बर में ना होगा
वो ज़फ़ा करें सह लूंगी
वो गिला करें सह लूंगी
वो ज़फ़ा करें सह लूंगी
वो गिला करें सह लूंगी
जिस हाल में वो रखे मुझको
उस हाल में मैं रह लूंगी
मुझे ऐसा मिला मोती
ऐसा मोती कोई सागर में ना होगा
मुझे ऐसा मिला तारा
ऐसा तारा कोई अम्बर में ना होगा
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Mujhe aisa mila moti-Pighalta Aasman 1985
Saturday, 28 January 2012
मुझे ऐसा मिला मोती-पिघलता आसमान १९८५
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