आपको फिल्म सातवां आसमान का एक मधुर युगल गीत सुनवाया था
इधर। अब सुनिए एक और युगल गीत जिसे गा रहे हैं प्रीती और उदित
नारायण। कुछ बात चीत वाले अंदाज़ में गीत चलता है। अल्हड और
अपरिपक्व प्रेम परिपक्वता की ओर बढ़ रहा है। वही हाल एक्टिंग का भी
है। एक्टिंग पर ज्यादा गौर न करें। न तो विवेक मुश्रान ने और न ही पूजा
भट्ट ने, झंडे गाडे हैं अभिनय के। गीत खत्म होने के बाद एक और गीत
शुरू हो जाता है जिसके बोल फिर कभी......
गीत के बोल:
सोचा तुम्हें खत लिखूं
पर मन ही मन मैं डरती हूँ
तुम खत को पढ़ ना पाओगे
इस खत को फाड़ डालोगे
सोचा तुम्हें खत लिखूं
पर मन ही मन मैं डरता हूँ
रूठूंगी मैं तुम मनाओगे
रूठोगे तुम मैं मनाऊंगी
उम्र जो थोड़ी सी बाकी है
आंसुओं में बीत जाएगी
इतनी फुरसत तो ऐ मेरी जां
जान देकर भी न पाऊंगी
सोचा तुमसे आ कर मिलूं
पर मन ही मन मैं डरती हूँ
सोचा टेलीफोन करूं
पर मन ही मन मैं डरता हूँ
मेरी आवाज़ को सुन कर
हेलो तुम कह न पाओगी
सोचा टेलीफोन करूं
पर मन ही मन मैं डरता हूँ
पहले मैं मरने से डरता था
तुमने जीना मुझको सिखलाया
तुम आईं तो सूने जीवन में
जैसे कोई चाँद निकल आया
हाय ये खिलता पागलपन
हर खुशी को मैने ठुकराया
सोचा तुमसे आ कर मिलूं
पर मन ही मन मैं डरता हूँ
सोचा तुम्हें खत लिखूं
पर मन ही मन मैं डरती हूँ
तुम खत को पढ़ ना पाओगे
इस खत को फाड़ डालोगे
सोचा तुम्हें फोन करूं
पर मन ही मन मैं डरता हूँ
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Socha tumhen khat likhhon-Saatwan Aasman 1992
Saturday, 6 August 2011
सोचा तुम्हें खत लिखूं-सातवां आसमान १९९२
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