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Wednesday, 3 August 2011

जाने कैसे सपनों में-अनुराधा १९६१

श्वेत श्याम युग से एक मधुर गीत पेश है सन १९६१ से। फिल्म का

नाम है अनुराधा। इस फिल्म के साथ जो हस्तियाँ जुडी हुई हैं उनके

बारे में थोड़ी बकर बकर कर लेते हैं।



फिल्म के संगीतकार हैं प्रख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर। फिल्म

कि नायिका हैं ख्यात सुंदरी लीला नायडू जिन्होनें गिनी चुनी फ़िल्में कीं

फिल्म के नायक है बलराज साहनी जिन्होंने फिल्म में एक डॉक्टर की

भूमिका निभाई है। फिल्म का निर्देशन प्रख्यात निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी

ने किया है। फिल्म के गीत लिखे है शैलेन्द्र ने।









गीत के बोल:



जाने कैसे सपनों मैं खो गयी अँखियां

मैं तो हूँ जागी मोरी सो गयी अँखियां



जाने कैसे सपनों मैं खो गयी अँखियां

मैं तो हूँ जागी मोरी सो गयी अँखियां



अजब दीवानी भई मोसे अन्जानी भई

अजब दीवानी भई मोसे अन्जानी भई

पल में पराई देखो हो गयी अँखियां

मैं तो हूँ जागी मोरी सो गयी अँखियां



जाने कैसे सपनों मैं खो गयी अँखियां

मैं तो हूँ जागी मोरी सो गयी अँखियां



मन उजियारा छाया, जग उजियारा छाया

मन उजियारा छाया, जग उजियारा छाया

जगमग दीप संजो गयी अँखियां

मैं तो हूँ जागी मोरी सो गयी अँखियां



जाने कैसे सपनों मैं खो गयी अँखियां

मैं तो हूँ जागी मोरी सो गयी अँखियां



कोई मन भा गया जलवा जला गया

कोई मन भा गया जलवा जला गया

मन के दो मोतिया पिरो गयी अँखियाँ





जाने कैसे सपनों मैं खो गयी अँखियां

मैं तो हूँ जागी मोरी सो गयी अँखियां

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Jaane kaise sapnon mein-Anuradha 1961

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