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Saturday, 16 July 2011

मैं भोली हसीना -वो जो हसीना १९८३

प्यार वो खूबसूरत एहसास है कि उसका असर सभी उम्र वालों
पर बराबर होता है. बस ग्राम और किलोग्राम का फर्क हो जाता है.
सबका इसे ज़ाहिर करने का तरीका जुदा होता है. अंतरमुखी व्यक्ति
इसे अपने शांत अंदाज़ में व्यक्त करता है और बहिर्मुखी व्यक्ति ढोल
ढमाके के साथ . अब एक जवान लड़की पूरी उछल कूद कर के इसे
कैसे बतला सकती है इस गीत के ज़रिये बताया गया है. गीत नैचुरल
लगता है और इसमें बिलकुल फ्री स्टाइल स्नान और नृत्य किया गया
है. व्याकुलता मिश्रित छटपटाहट किसे कहते हैं देखिये इस गीत में.
रंजीता और प्रेमा नारायण इसमें प्रमुख कलाकार हैं.

लता मंगेशकर की आवाज़ है, गौहर कानपुरी के बोल हैं और राम-लक्ष्मण
का संगीत है.




गीत के बोल:

मैं भोली हसीना
बनी जो नगीना
कहीं की रही न हाय
होय रब्बा मुझे क्या हो गया
हुआ क्या हसीना
मेरा बचपन खो गया

मैं भोली हसीना
बनी जो नगीना
कहीं की रही न हाय
होय रब्बा मुझे क्या हो गया
हुआ क्या हसीना
मेरा बचपन खो गया

धक् धक् धक् धडके जिगर
पल पल पल फडके नज़र
धक् धक् धक् धडके जिगर
पल पल पल फडके नज़र
पग पग पर लगता है डर
डर से कहीं जाऊं न मर

नींद नहीं नैना कटत नहीं रैना
पडत नहीं चाइना हाय
होय रब्बा मुझे क्या हो गया
हुआ क्या हसीना
मेरा बचपन खो गया

छोटा लगे दिन लंबी लगे रात
पहले तो न थी ऐसी कोई बात
छोटा लगे दिन लंबी लगे रात
पहले तो न थी ऐसी कोई बात
बैरी हुआ दिल तौबा दिल की जात
ऐसे मौके पे छोड़ा मेरा साथ

मैं बेला चमेली थी सब की सहेली
फिरूं अब अकेली हाय
होय रब्बा मुझे क्या हो गया
हुआ क्या हसीना
मेरा बचपन खो गया

मैं भोली हसीना
बनी जो नगीना
कहीं की रही न हाय
होय रब्बा मुझे क्या हो गया
हुआ क्या हसीना
मेरा बचपन खो गया
......................................................
Main bholi haseena-Woh jo haseena 1983

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