गेसू, बाल, केश, जुल्फें, लट इन शब्दों का प्रयोग गीतकार नारी
विषयक पंक्तियों की रचना में ही किया करते हैं। जिन नायकों
के बाल लम्बे होते हैं उनके लिए शायद पैरोडी में कभी कोई गीत
बना हो तो हो, अन्यथा नारी के सौंदर्य में चार चाँद लगाने वाली
केश राशि ही गीतकारों को लुभाती रही है।
आपको फिल्म पायल की झंकार से दो गीत सुनवा चुके हैं। आइये तीसरा
गीत सुनते हैं जो किशोर कुमार की आवाज़ में एकल गीत है। गीत लम्बा
है और इसके अंतरे के बीच के ध्वनियों के टुकड़े भी बड़े हैं।
इस फिल्म में किशोर कुमार से शेर शायरी और कविता बुलवाई गई है, जो
अनूठा सा प्रयोग है। किशोर कुमार की दिलकश आवाज़ में वो सब सामान
संगीत प्रेमियों के लिए अमूल्य निधि सरीखी है।
इसी कड़ी में एक गीत है-मुखड़े पे गेसू आ गये. इस गीत की पञ्च लाइन है
"आधे इधर आधे उधर। चूंकि अधिकतर बालिकाएं, कन्यायें,युवतियां और
महिलाएं बीच में से मांग निकलती है, उनकी केश राशि दोनों तरफ बराबर
फैलाव लिए होती हैं।
गीत में प्राकृतिक सौंदर्य भी आपको भरपूर मिलेगा। कुछ समय पहले
आपने ओलिम्पिक में आपने एक प्रतियोगिता ज़रूर देखी होगी जिसका
नाम है -synchronized swimming। इसका देसी संस्करण आप इस
गीत में देख लीजिये जो कितने साल पहले हमारा फिल्म निर्देशक
दर्शकों को दिखा चुका है। बहते हुए झरने और नदी की धार के बीच
नायिका और उसकी सहेलियों की अठखेलियों पर कमर जलालाबादी
के बोल और संगीतकार सी रामचंद्र की सॉफ्ट सी धुन एक सुखमय सा
प्रभाव बनती है।
गीत के बोल:
मुखड़े पे गेसू आ गये
आधे इधर आधे उधर
आधे इधर आधे उधर
चंदा पे बादल छा गये
आधे इधर आधे उधर
आधे इधर आधे उधर
आज हमने रूप देखा
चांदनी के भेस में
आज हमने रूप देखा
चांदनी के भेस में
एक परदेसी बेचारा
लुट गया परदेस में
एक परदेसी बेचारा
लुट गया परदेस में
दिल के दुश्मन आ गये
आधे इधर आधे उधर
आधे इधर आधे उधर
मुखड़े पे गेसू आ गये
आधे इधर आधे उधर
आधे इधर आधे उधर
तुझको मालिक ने बनाया
ख़ास अपने हाथ से
तुझ को मालिक ने बनाया
ख़ास अपने हाथ से
सुबह से मुखड़ा बनाया
और जुल्फें रात से
सुबह से मुखड़ा बनाया
और जुल्फें रात से
फूल खिल कर आ गये
आधे इधर आधे उधर
आधे इधर आधे उधर
मुखड़े पे गेसू आ गये
आधे इधर आधे उधर
आधे इधर आधे उधर
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Mukhde pe gesoo aa gaye-Payal ki jhankar 1968
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