आशा भोंसले के गाये चुनिन्दा अलग-हट-के गीतों
में से एक आपको आज सुनवाते हैं। ये उपशास्त्रीय सा
सुनाई देता गीत है फिल्म सम्बन्ध से। कवि प्रदीप
के बोलों पर धुन बनाई है ओ. पी. नैयर ने। विडियो
में ये गीत संक्षिप्त है अतः आपको ऑडियो और विडियो
दोनों के लिंक दिए जा रहे हैं। नैयर की बहुआयामी प्रतिभा
को दर्शाता है राग शिवरंजिनी पर आधारित यह गीत ।
नैयर को भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रयुक्त होने वाले वाद्य
बहुत पसंद थे और इस गीत में भी उन वाद्यों में से कुछ
का प्रचुर प्रयोग हुआ है।
गीत के बोल:
मैं ख़ुद चन्द्रमुखी हूँ चमक से डरती हूँ
अपने मुखड़े की अनोखी दमक से डरती हूँ
ये सोलहवाँ जो लगा साल इसने मार दिया
अब तो पायल की ज़रा सी छमक से डरती हूँ
अकेली हूँ मैं पिया आ
अकेली हूँ मैं पिया आ
रूप नागर की कुंवरी तरसे
रूप नागर की कुंवरी तरसे
राजा प्रीत निभा
अकेली हूँ मैं पिया आ
रूप की धुप में जली सैयां
रूप की धुप में जली सैयां
कर दे प्यार की शीतल छैयां
रूप की धुप में जली सैयां
कर दे प्यार की शीतल छैयां
अब और मत जला
अकेली हूँ मैं पिया आ
जब-जब देखूँ मैं दर्पण में
जब-जब देखूँ मैं दर्पण में
आग सी लगती नाज़ुक तन में
जब-जब देखूँ मैं दर्पण में
आग सी लगती नाज़ुक तन में
का करूँ तू ही बता
अकेली हूँ मैं पिया आ
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Akeli hoon main piya aa-Sambandh 1969
Friday, 1 July 2011
अकेली हूँ मैं पिया आ-सम्बन्ध १९६९
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