फिर आज डूब जाने को मन करता है तुम्हारी गहरी आवाज़ के समुन्दर में.
किसी किशोर कुमार के भक्त ने ये उदगार प्रकट किये थे इस गीत के लिए
बरसों पहले. मैं भी कुछ सहमत हूँ उस भक्त की भावना से. इस गीत में
अतिरिक्त आयाम है जो इसे सामान्य गीतों की श्रेणी से अलग करके विशिष्ट
की श्रेणी में रखता है. हेमंत कुमार ने जितने मन लगा के खुद के गाये और
लता मंगेशकर वाले गीत बनाये हैं उसी तबियत से इस गीत को भी बनाया
है. किशोर कुमार के सर्वश्रेठ गीतों में से एक आज सुनते हैं फिल्म ख़ामोशी
से. सन १९६९ की फिल्म ख़ामोशी का हर एक गीत नायब रत्न है. बोल लिखे
हैं गुलज़ार ने . गीत का फिल्मांकन एक नाव में हुआ है. इसका फिल्मांकन
बढ़िया है और गीत एक संक्षिप्त कथा के माफिक लगता है.
नायक राजेश खन्ना इस फिल्म में एक मनोरोगी की हैं और वहीदा रहमान एक
मनोचिकित्सक की भूमिका में हैं . पिछले रोगी (धर्मेन्द्र) का इलाज करते करते
वह उससे प्रेम करने लगती है. नायिका का मानसिक द्वन्द इस गीत में बखूबी
दर्शाया गया है. मन को बांटना वाकई मुश्किल काम है.
विरोधाभास का भाव भी है इस गीत में. नायक खुशनुमा ख्याल में है और
नायिका उसके काँधे पर सर रख कर रो रही है. इस गीत की एडिटिंग ज़बरदस्त
है और उस एडिटिंग वाले कलाकार को नमन.
अंत में गीत मरहम का सा काम करता है नायिका के लिए और वो मरीज को
अपना प्रेमी समझ कर उससे लिपट जाती है.
गीत के बोल:
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है
झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख़याल था
दबी दबी हँसीं में इक, हसीन सा सवाल था
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूँ लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी
मेरा ख़याल हैं अभी, झुकी हुई निगाह में
खिली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
यही ख़याल है मुझे, के साथ आ रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है
......................................
Wo shaam kuchh ajeeb thi-Khamoshi 1969
Monday, 11 July 2011
वो शाम कुछ अजीब थी-ख़ामोशी १९६९
Labels:
1969,
Gulzar,
Hemant Kumar,
Khamoshi,
Kishore Kumar,
Rajesh Khanna,
Waheeda Rehman
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment