७० के दशक में मारधाड़ और ढिशुम ढिशुम वाली फ़िल्में ज्यादा बनना
शुरू हो गयीं। इनके साथ साथ कोमेडी, हलकी फुलकी साफ़ सुथरी और
पारिवारिक फ़िल्में और कला फ़िल्में भी बनती रहीं। कुछ फ़िल्में बेहद
सफल रहीं। शोले के दौर में ही एक फिल्म आई-चितचोर जिसने धूम
मचाई और जगह जगह सिल्वर जुबली मनाई। इसी फिल्म से एक काफ़ी
लोकप्रिय गीत आज सुनवाते हैं आपको जो येसुदास की आवाज़ में है। गीत
में आपको अमोल पालेकर, विजयेन्द्र घाटगे और ज़रीना वहाब एक बाल
कलाकार मास्टर राजू के साथ दिखाई देंगे।
गीत के बोल:
आज से पहले, आज से ज़्यादा,
खुशी आज तक नहीं मिली।
इतनी सुहानी, ऐसी मीठी,
घड़ी आज तक नहीं मिली।
इसको संयोग कहें या किस्मत का लेखा,
हम जो अचानक मिले हैं।
मनचाहे साथी पाकर हम सब के चेहरे,
देखो तो कैसे खिले हैं।
इन तकदीरों को जोड़ दे ऐसी,
कड़ी आज तक नहीं मिली।
सपना हो जाए वो पूरा, जो हमने देखा,
ये मेरे दिल की दुआ है।
ये पल जो बीत रहे हैं, उसके नशे में,
दिल मेरा गाने लगा है।
हम इसी खुशी को ढ़ूँढ़ रहे थे,
यही आज तक नहीं मिली
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Aaj se pehle aaj se Zyada-Chitchor 1975
Saturday, 2 July 2011
आज से पहले आज से ज़्यादा-चितचोर १९७५
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