लता मंगेशकर की आवाज़ में सुना जाये एक उच्च कोटि का दर्द भरा गीत.
ये लिया गया है फिल्म आवारा से. हसरत जयपुरी ने कई बढ़िया दर्द भरे
गीत भी लिखे हैं. ये उनकी लेखन शैली का एक शानदार नमूना है. उनकी
उपमाएं समकालीन गीतकारों के समान ही लेकिन थोड़ी अलग सी लगती हैं.
उदाहरण के लिए- चाँद के डोले में आई नज़र. प्रयोग करने में वे भी नहीं
चूके और हमें उस वजह से कुछ अनूठी चीज़ें सुनने को मिलीं
प्रस्तुत गीत नर्गिस के ऊपर फिल्माया गया है जिनकी भावाभिव्यक्ति लता के
गीतों पर आला दर्जे की रही हमेशा.
अभी हमने संगीत पक्ष की तो बात ही नहीं की है. इस हिट फिल्म का संगीत
तैयार किया है शंकर जयकिशन की जोड़ी ने. फिल्म के सभी गाने बेहद लोकप्रिय
हैं और सबसे ज्यादा लोकप्रिय गीत होने का सेहरा बंधा था मुकेश के गाये शीर्षक
गीत पर-“आवारा हूँ”.
गीत के बोल:
आ जाओ तड़पते हैं अरमां
आ जाओ तड़पते हैं अरमां
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
मै रोऊँ यहाँ, तुम चुप हो वहां
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
ओ, चाँद की रंगत उड़ने लगी
वो तारों के दिल अब डूब गये
डूब गये
है दर्द भरा बेचैन समां
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
इस चाँद के डोले में आई नज़र
इस चाँद के डोले में आई नज़र
यह रात की दुलहन चल दी किधर
चल दी किधर
आवाज़ तो दो, खोये हो कहाँ
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
घबरा के नज़र भी हार गई
घबरा के नज़र भी हार गई
तकदीर को भी नींद आने लगी
नींद आने लगी
तुम आते नहीं, मै जाऊं कहाँ
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
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Aa jao tadapte hain armaan-Awara 1951
Monday, 11 July 2011
आ जाओ तड़पते हैं अरमां-आवारा १९५१
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