हेमंत कुमार की आवाज़ में अब सुनते हैं सन १९६३ की फिल्म
बिन बादल बरसात से एक गीत. बढ़िया रोमांटिक गीत है और
इसमें आशा पारेख और विश्वजीत नैन मटक्का करते दिखेंगे आपको.
सितार और बांसुरी ने कमाल किया है गीत की शुरुआत में. मैंडोलिन
की तरह दोनों(नायक-नायिका)के दिल के तार झनझना जाते हैं.
शकील बदायूनीं के बोल हैं और हेमंत कुमार का संगीत है.
गीत के बोल:
जब जाग उठें अरमान तो कैसे नींद आये
जब जाग उठें अरमान तो कैसे नींद आये
हो घर में हसीं मेहमान तो कैसे नींद आये
नींद आये
जब जाग उठें अरमान तो कैसे नींद आये
ये रात ये दिल की धडकन
ये बढती हुई बेताबी
एक जाम की ख़ातिर जैसे
बेचैन हो कोई शराबी
ये रात ये दिल की धडकन
ये बढती हुई बेताबी
एक जाम की ख़ातिर जैसे
बेचैन हो कोई शराबी
शोलों में घिरी हो जान तो कैसे नींद आये
जब जाग उठें अरमान तो कैसे नींद आये
हम तुम की नयी उम्मीदें
यूँ खेल रही हैं दिल से
जिस तरह तड़प कर मौजें
टकराएँ किसी साहिल से
हम तुम की नयी उम्मीदें
यूँ खेल रही हैं दिल से
जिस तरह तड़प कर मौजें
टकराएँ किसी साहिल से
सीने में हो एक तूफ़ान तो कैसे नींद आये
जब जाग उठें अरमान तो कैसे नींद आये
नज़दीक बहुत है मंजिल
फिर भी है गज़ब की दूरी
ऐ दिल ये तू ही बतला दे
वो कौन सी है मजबूरी
नज़दीक बहुत है मंजिल
फिर भी है गज़ब की दूरी
ऐ दिल ये तू ही बतला दे
वो कौन सी है मजबूरी
जब सोच में हो इंसान तो कैसे नींद आये
हो घर में हसीं मेहमान तो कैसे नींद आये
नींद आये
जब जाग उठें अरमान तो कैसे नींद आये
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Jab jaag uthe armaan-Bin badal barsaat 1963
Tuesday, 12 July 2011
जब जाग उठें अरमान-बिन बादल बरसात १९६३
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