ये दिमाग भी कमबख्त बहुत कबाड़ा किस्म की चीज़ है, मटर पनीर
खाते खाते जूता पालिश की ख़ाली होती डब्बी याद आ जाती है तो
नहाते नहाते पेट्रोल पम्प दिखाई देने लगता है ।
आज एक पुराने मित्र की याद हो आई। जो मित्र दिल के करीब थे
समय ने उनको इतना दूर कर दिया कि अब उनकी यादों के सिवा
कुछ बचा नहीं है दोस्ती के नाम पे। कुछ दूसरी दुनिया पहुँच
गये तो कुछ मोह माया में उलझ कर रह गये। आपको फिल्म हेरा फेरी
का एक गीत सुनवाया था-बरसों पुराना ये याराना। फिल्म हेरा फेरी से
एक गीत आपको और सुनवाते हैं। ये सायरा बानो और अमिताभ बच्चन
पर फिल्माया गया है।
गीत के बोल:
कौन अंजाम-ए-उल्फत नहीं जानता
कौन अंजाम-ए-उल्फत नहीं जानता
मगर क्या करूं ये दिल दीवाना
नहीं मानता नहीं मानता
नहीं मानता दिल नहीं मानता
कौन अंजाम-ए-उल्फत नहीं जानता
मौत से जो डरे, प्यार वो क्या करे
प्यार में तो यही मौत है ज़िन्दगी
जान क्या चीज़ है प्यार के सामने
साथ छूते ना छूते ये दिल की लगी
ये ना होता तो फिर प्यार की राह में
ख़ाक दर दर की कोई दीवाना
नहीं छानता नहीं छानता
नहीं मानता दिल नहीं मानता
कौन अंजाम-ए-उल्फत नहीं जानता
लैला शीरी हो या हीर या सोहनी
मर के भी उनकी सूरत सितारों में है
जिस के दिल का लहू घुल गया प्यार में
आज तक उनकी ख़ुशबू बहारों में है
कुछ तो है वरना दिल मेरा तेरे लिए
जान देने की जिद जाने-जाना
नहीं ठानता, नहीं ठानता
नहीं मानता दिल नहीं मानता
कौन अंजाम-ए-उल्फत नहीं जानता
कौन अंजाम-ए-उल्फत नहीं जानता
मगर क्या करूं ये दिल दीवाना
नहीं मानता नहीं मानता
नहीं मानता दिल नहीं मानता
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Kaun anjaam-e-ulfat nahin jaanta-Hera Pheri 1976
Wednesday, 15 June 2011
कौन अंजाम-ए-उल्फत नहीं जानता-हेरा फेरी १९७६
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