पुरानी फिल्मों में कई ऐसे रत्न छुपे हुए हैं कि ढूंढ ढूंढ के उनको
निकालना पढता है। प्रस्तुत गीत भी ऐसा ही है। रेडियो पर काफी
बजा ये गीत शायद विडियो के रूप में उपलब्ध नहीं है यू ट्यूब पर।
भारत व्यास रचित गीत लता मंगेशकर द्वारा गाये अतिरिक्त
मधुरता वाले गीतों में गिना जाता है संगीत रसिकों द्वारा। कानों
में मिश्री सी घोल दी हो जैसे। संगीतकार एस एन त्रिपाठी का जादुई
संगीत है जनाब इस गीत में। गीत की साउंड क्वालिटी ज़बरदस्त है
और आपको आनंद ज़रूर आएगा मेरा दावा है।
गीत के बोल:
नैनों से नैनों की बात हुई
छुप-छुप के तुमसे मुलाक़ात हुई
नहीं जान सके तुम नहीं जान सके हम
नहीं जान सके तुम नहीं जान सके हम
फिर भी घुँघरू ने बोल दिया छम-छम-छम
नैनों से नैनों की बात हुई
तुम जो मिले फूल खिले दिल के अरमान हिले
धरती गगन दोनों लगे झूमने
नैनों से मिलते ही नयन चलने lagi मंद पवन
भँवर लगे कलियों को चूमने
भँवर लगे कलियों को चूमने
पहले मिलन की ये करामात हुई
चन्दा बिन पूनम की रात हुई
नहीं जान सके तुम नहीं जान सके हम
फिर भी घुँघरू ने बोल दिया छम-छम-छम
नैनों से नैनों की बात हुई
चंचल पलकों के तले नज़रों के तीर चले
बाज़ी लगी दो दिलों के खेल की
तुम भी चले हम भी चले देख के सब लोग जले
बढ़ने लगी बेल मधुर मेल की
बढ़ने लगी बेल मधुर मेल की
अपनी मुहब्बत की शुरुआत हुई
जीत इधर और उधर मात हुई
नहीं जान सके तुम नहीं जान सके हम
फिर भी घुँघरू ने बोल दिया छम-छम-छम
नैनों से नैनों की बात हुई
छुप-छुप के तुमसे मुलाक़ात हुई
नहीं जान सके तुम नहीं जान सके हम
फिर भी घुँघरू ने बोल दिया छम-छम-छम
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Nainon se nainon ki baat huyi-Chandrakanta 1960
Wednesday, 15 June 2011
नैनों से नैनों की बात हुई-चंद्रमुखी १९६०
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