एक बार किसी ने फरमाइश की-मेलंकली किसिम के गीत सुनवाओ।
हमने कहा ज़रूर। हमने उसे हुस्नलाल भगतराम द्वारा संगीतबद्ध
कुछ गीत सुनवा दिए। जो गीत सुनवाए थे उनमें से एक था फिल्म
आधी रात का यह गीत-बन के सुहागन रही अभागन। सन १९५० की
फिल्म आधी रात में अशोक कुमार और नर्गिस प्रमुख भूमिकाओं
में हैं। सरशर सैलानी का लिखा गीत गा रही हैं लता मंगेशकर।
पुराने फ़िल्मी गीत इस मायने में भी बढ़िया लगा करते थे कि २-३ मिनट
में ख़त्म हो जाया करते थे। आजकल के गीतों में बोलों से ज्यादा वाद्य
यंत्रों की आवाजें होती हैं जिन्हें कभी कभी ज़बरदस्ती झेलना पड़ता है।
गीत के बोल:
बन के सुहागन, रही अभागन
फूट गई तक़दीर मेरी
फूट गई तक़दीर मेरी
फूटी हुई तक़दीर के आगे
चल न सकी तदबीर मेरी
चल न सकी तदबीर मेरी
बन के सुहागन, रही अभागन
फूट गई तक़दीर मेरी
फूट गई तक़दीर मेरी
दिल में आग आँखों में पानी
दिल में आग आँखों में पानी
हाय मेरी बरबाद जवानी
हाय मेरी बरबाद जवानी
किसको सुनाऊँ ग़म की कहानी
कौन बँधाए धीर मेरी
कौन बँधाए धीर मेरी
बन के सुहागन, रही अभागन
फूट गई तक़दीर मेरी
फूट गई तक़दीर मेरी
ख़ून के आँसू पीती हूँ मैं
ख़ून के आँसू पीती हूँ मैं
मौत की आस पे जीती हूँ मैं
मौत की आस पे जीती हूँ मैं
इसके सिवा ऐ दुनिया वालो
कोई नहीं तक़दीर मेरी
फूट गई तक़दीर मेरी
बन के सुहागन, रही अभागन
फूट गई तक़दीर मेरी
फूट गई तक़दीर मेरी
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Ban ke suhagan-Aadi Raat 1950
Monday, 20 June 2011
बन के सुहागन रही अभागन-आधी रात १९५०
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