दो फिल्मों के गीत सुनने में मुझे हमेशा कन्फ्यूज़न होता । वो हैं
छाया और माया । दोनों फ़िल्में सन १९६१ में आयीं। दोनों में ही
सलिल चौधरी का संगीत है। आइये इस फिल्म से आपको एक
मधुर गाना सुनवाया जाए। सुनील दत्त और आशा पारेख अभिनीत
फिल्म छाया में सुनील दत्त के लिए सलिल ने तलत महमूद की
आवाज़ का इस्तेमाल किया है, और कुछ अविस्मर्णीय रचनाएँ दी
हिंदी फिल्म संगीत जगत को। प्रस्तुत गीत कर्णप्रिय तो है ही साथ
साथ इसे गुनगुनाना कठिन कार्य है। लम्बी सांस लेने की ज़रुरत
पढ़ती है बीच बीच में। इस फिल्म के गीत राजेंद्र कृष्ण ने लिखे हैं।
गीत के बोल:
आंसू समझ के क्यूँ मुझे आँख से तुमने गिरा दिया
मोती किसी के प्यार का मिटटी में क्यूँ मिला दिया
आंसू समझ के क्यूँ मुझे
जो ना चमन में खिल सका मैं वो गरीब फूल हूँ
जो ना चमन में खिल सका मैं वो गरीब फूल हूँ
जो कुछ भी हूँ बाहर की छोटी सी एक भूल हूँ
जिस ने खिला के खुद मुझे खुद ही मुझे भुला दिया
आंसू समझ के क्यूँ मुझे आँख से तुमने गिरा दिया
आंसू समझ के क्यूँ मुझे
नगमा हूँ कब मगर मुझे अपने पे कोई नाज़ था
नगमा हूँ कब मगर मुझे अपने पे कोई नाज़ था
गाया गया हूँ जिस पे मैं टूटा हुआ वो साज़ था
जिस ने सुना वो हंस दिया, हंस के मुझे रुला दिया
आंसू समझ के क्यूँ मुझे आँख से तुमने गिरा दिया
आंसू समझ के क्यूँ मुझे
मेरी खता मुआफ मैं भूले से आ गया यहाँ
मेरी खता मुआफ मैं भूले से आ गया यहाँ
वरना मुझे भी है खबर मेरा नहीं है ये जहाँ
डूब चला था नींद में अच्छा किया जगा दिया
आंसू समझ के क्यूँ मुझे आँख से तुमने गिरा दिया
आंसू समझ के क्यूँ मुझे
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Ansoo samajh ke kyun mujhe-Chhaya 1961
Saturday, 20 November 2010
आंसू समझ के क्यूँ मुझे-छाया १९६१
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