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Sunday, 21 November 2010

अँधेरी रातों में-शहंशाह १९८८

सन ८८ में भी कुछ सुनने लायक गीत आये उन गीतों में से एक
आपको सुनवा चुके हैं। एक फिल्म बनाई थी टीनू आनंद ने-
शहंशाह जिसमे शीर्षक भूमिका अमिताभ बच्चन ने निभाई थी ।
१९८८ में ये फिल्म आई और इसमें किशोर कुमार का गाया एक
गीत है जो शीर्षक गीत भी है फिल्म का-अँधेरी रातों में। आनंद
बक्षी के लिखे गीत को स्वरबद्ध किया है नयी संगीतकार जोड़ी
अमर-उत्पल ने। ये गीत मैंने बहुत सुना है, आज आप भी एक
बार सुन लीजिये। टीनू आनंद निर्देशित फिल्म 'कालिया' में भी
अमिताभ बच्चन नायक की भूमिका में थे।



गीत के बोल:

अँधेरी रातों में सुनसान राहों पर
अँधेरी रातों में सुनसान राहों पर
हर ज़ुल्म मिटने को
एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शहंशाह कहते हैं

अँधेरी रातों में सुनसान राहों पर
अँधेरी रातों में सुनसान राहों पर
हर ज़ुल्म मिटाने को
एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शहंशाह कहते हैं

अँधेरी रातों में सुनसान राहों पर

शहर की गलियों में वो फिरता है
शहर की गलियों में वो फिरता है
दोस्तों से दोस्त बनकर मिलता है
दुश्मनों के सर पे ऐसे गिरता है
जैसे बिजली गिरे बरसातों में

अँधेरी रातों में सुनसान राहों पर
हर ज़ुल्म मिटाने को
एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शहंशाह कहते हैं

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