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Tuesday, 23 November 2010

नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना -जेल यात्रा १९८१

एक गीत फिल्म जेल यात्रा से। उनींदे से विनोद खन्ना हडबडा के उठ
बैठते हैं जब कानों में नायिका रीना रॉय का गीत सुनाई पड़ता है। पूरे
गीत में वो हैरान से दिख रहे हैं। मजरूह के लिखे और लता मंगेशकर
के गाये गीत को संगीत में बांधा है राहुल देव बर्मन ने। इस गीत के बाद
आपको वो दो गीत सुनवायेंगे जो जेल यात्रा के इस गीत को सुनने के
बाद याद आते हैं।



गीत के बोल:

नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता
नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता

आज गले मिलके मर जाऊं
एक यही है रास्ता
तन्हा रहना रोज तड़पना
मुझसे ना हो सकता


नहीं लगता, लगता
नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता
हो नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता

आज गले मिलके मर जाऊं
एक यही है रास्ता
तन्हा रहना रोज तड़पना
मुझसे ना हो सकता

नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता
हो नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता

इसे कहाँ ले के जाऊं मैं
के दो घडी चैन पाऊँ मैं

शोला सा रंग है
जलता बुझता अंग है
तेरी लगी कैसी बुझाऊँ मैं
आज मिलन की ओढ़ लगा दे
एक यही है रास्ता
तन्हा रहना रोज तड़पना
मुझसे ना हो सकता

नहीं लगता लगता
नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता
हो नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता

पिया बाहर फिर से आई है
नई वजह फिर से लायी है
मैं फिर से खो गई
दीवानी सी हो गई
मुझा पकड़ हाय दुहाई है
यारों की बाहों में गिर जाऊं
एक यही है रास्ता
तन्हा रहना रोज तड़पना
मुझसे ना हो सकता

नहीं लगता लगता
नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता
हो नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता

आज गले मिलके मर जाऊं
एक यही है रास्ता
तन्हा रहना रोज तड़पना
मुझसे ना हो सकता

नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता
हो नहीं लगता हाय दिल तेरे बिना नहीं लगता

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