टी वी पर इतने सारे घोटाले दिखाए जाते हैं और इतने लुभावने कार्यक्रम
आते हैं कि आम आदमी भी करोडपति बन जाने के ख्वाब देखने लगता है।
मीडिया मसाले लगा कर घोटालों की ख़बरें पेश करता है। गौर करने लायक
बात ये है कि इन सबके बीच कहीं भी पांच रूपये के नोट और चिल्लर के गायब
हो जाने का समाचार नहीं मिलता है, जिसकी वजह से आज आम जनता काफी
परेशान और जबरन अनावश्यक वस्तुएं खरीदने को मजबूर है, जहाँ देखो चिल्लर
का टोटा या उसकी कमी का रोना।
अरबों रूपये के घोटाले होने के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था टिकी हुयी है, ये शायद
हमारा मजबूत विश्वास ही है जो सब झेल जाता है। और वो भी बर्दाश्त करने के माद्दे
से भी बहुत बाहर जा कर।
एक गीत है जिसमें पांच के नोट का जिक्र है, आज भी प्रासंगिक है। ये है सन १९८२ की
फिल्म स्वामी दादा का गीत। गीत कानों को सुकून प्रदान करने वाला है।
गीत के बोल:
पांच के नोट में अब क्या दम है ?
हो हो हो, दस का नोट सिगरट को भी कम है
हो हो हो, अब हरे नोट का मोल है क्या
सोचो कुछ ऊंची बात ज़रा
अब बात करो तो लाखों की
देखेंगे ख्वाब करोड़ों के
गलियों गलियों ख़ाक बहुत दिन हमने छानी
हो, बदला है अब दौर बादल जाएगी कहानी
हो, एक बंजारन कल बनेगी महलों की रानी
हो ओ ओ ओ
गलियों गलियों ख़ाक बहुत दिन हमने छानी
बदला है अब दौर बादल जाएगी कहानी
हो,एक बंजारन कल बनेगी महलों की रानी
हो ओ ओ ओ
गलियों गलियों ख़ाक बहुत दिन हमने छानी
आज संवर के देखा जो दर्पण
अपनी नज़र से शर्मा गई
किस के हुनर का चल गया जादू
कहाँ से कहाँ आ गई
ओ, मेरा हाथ
इस हीरे के हार में क्या है अपना मोल तो अंको
तुम क्या हो क्या बन सकते हो अपने दिल में झांको
झूठे नकली सपने देखे,
झूठे नकली सपने देखे, असली बात ना जानी
हो ओ ओ ओ
गलियों गलियों ख़ाक बहुत दिन हमने छानी
हो, बदला है अब दौर बादल जाएगी कहानी
मिल के मेरे साथ चलो तो वो दुनिया दिखलाऊँ
जीते जी वो जन्नत कैसे मिलती है बतलाऊँ
तुमको मसीहा मान लिया है अब जाना है और कहाँ
तुमसे मिले तो देखे उजाले वरना धुआं थे दोनों जहाँ
बदलें हम और यूँ बदलें,
बदलें हम और यूँ बदलें, हो दुनिया को हैरानी
हो ओ ओ ओ
गलियों गलियों ख़ाक बहुत दिन हमने छानी
हो, बदला है अब दौर बादल जाएगी कहानी
हो,एक बंजारन कल बनेगी महलों की रानी
हो ओ ओ ओ
गलियों गलियों ख़ाक बहुत दिन हमने छानी
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Galiyon galiyon-Swami Dada 1982
Friday, 28 October 2011
गलियों गलियों-स्वामी दादा १९८२
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