फिल्म सम्पूर्ण रामायण से एक गीत सुनिए लाता मंगेशकर की आवाज़ में.
गीत भरत व्यास का है और संगीत वसंत देसाई का. अनीता गुहा नाम की
अभिनेत्री पर इसे फिल्माया गया है. भरत व्यास के गीत में आप फ़िल्मी
गैर फ़िल्मी दोनों प्रकार की कविता का आनंद ले सकते हैं. फ़िल्मी कविता
में कभी कभार छेड़-छाड़ हो जाती है धुन बनाते वक्त.
सुगठित भारी काया और गोल भरे चेहरे वाली अभिनेत्री अनीता गुहा धार्मिक
फिल्मों में काफी दिखाई दीं. गौरतलब है उन्होंने किशोर कुमार के साथ फिल्म
चाचा जिंदाबाद में काम किया है.
बादलों
बादलों बरसो नयन की कोर से
बिजलियों कड़को ह्रदय की ओर से
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
बादलों बरसो नयन की कोर से
ऐ घटाओं गर्जना को थाम लो
ऐ घटाओं गर्जना को थाम लो
आज मेरे करुण स्वर से काम लो
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
आज मेरे,
आज मेरे करुण स्वर से काम लो
बंध गया सावन नयन की डोर से
बादलों
बादलों बरसो नयन की कोर से
ज़हर को अमृत समझ कर पी रही
ज़हर को अमृत समझ कर पी रही
मीन जल बिन दीन हो कर जी रही
प्राण तड़पे भाग्य के झकझोर से
बादलों
बादलों बरसो नयन की कोर से
बिजलियों कड़को ह्रदय की ओर से
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
बादलों बरसो नयन की कोर से
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Badlon barso nayan ki kor se-Sampoorna Ramayana 1961
Saturday, 6 August 2011
बादलों बरसो नयन की कोर से-सम्पूर्ण रामायण १९६१
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Beautiful song.
ReplyDeleteफिल्म संपूर्ण रामायण का ये सुन्दर गीत लता जी का गया हुआ " बादलों बरसों नयन के कोर से" हृदय को छु लेने वाला गीत है | इस फिल्म के गीत को सुन्दर घने वनों और पहाड़ों में फिल्माया गया है | पहले समय के निर्देशक, गीत कार, संगीतकार,कैमरामैन इस चीज का विशेष ख़याल रखते थे की फिल्म की कहानी के अनुसार गीत लिखे जाए और फिर उसको उसी ढंग से फिल्माया जाता था| इस गाने में जंगल के दृश्य ,आसमान, बादल, पहाड़ गीत के मुखड़े की साथ सुन्दर ढंग से फिल्माए गए हैं और अनिता गुहा ने अपने बेजोड़ अभिनय से इस गाने में जान डाल दी है | इस गाने को देखते देखते दर्शक इसमें खो जाते हैं कई दर्शकों के तो आखों में आंसू भी आ जाते हैं ऐसे गीत को देखकर | हमे अपनी भारतीय फिल्मों पर नाज है और धन्य है ऐसे गीत कार कहानीकार ,कैमेरामन ,निर्देशक ,संगीतकार ,लताजी और पूरी फिल्म यूनिट जिन्होंने भारतीय दर्शकों के लिए संपूर्ण रामायण जैसी सुन्दर हित फिल्म बनाई | ये दुःख की बात है की सीता माँ का अभिनय करने वाली अनिता गुहा अपने वास्तविक शादी शुदा जीवन में कभी भी माँ नहीं बन सकी और जीवन के अंतिम दिनों में लुकेडरमा ( सफ़ेद चमड़ी के रोग) से पीड़ित रही भूलेंगे |
ReplyDeleteBahut hi Sundar geet rachna aur Madhur Sangeet se sajaya hua manoram geet hai.
DeleteAapka bahut bahut dhanyawad.