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Thursday, 11 August 2011

बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी-एक मुसाफिर एक हसीना १९६२

दिल की धडकनें बढ़ा दिया करता था ये गीत एक ज़माने में प्रेमियों का.

यह काफी लोकप्रिय और चर्चित गीत है फिल्म एक मुसाफिर एक हसीना से.

जॉय मुखर्जी के साथ विडम्बना ये है कि वाचाल फिल्म प्रेमी उन्हें गरीबों

का शम्मी कपूर कहते हैं. शम्मी कपूर के दौर में उनका फिल्मों में पदार्पण

हुआ अतः शम्मी के हाव भाव और अभिनय का थोडा बहुत असर तो मिलेगा

ही आपको. किस्मत से फ़िल्में भी उन्हें जो मिलीं, वे सब लगभग, मधुर

संगीत वाली थीं. प्रस्तुत गीत में वे दिल के बीमार के बजाये अस्पताल से

अभी अभी ठीक हो के उठे बीमार जैसे ज्यादा दिखाई देते हैं. उनकी तुलना

में नायिका के चहरे पर चमक अधिक है. मगर बीच बीच में दिखाई देने

वाली उनकी आँखों की चमक कुछ और ही अफसाना बयां करती हैं. गीत में

नायिका साधना के चेहरे के भाव गीत की हर पंक्ति के साथ बदलते हैं जो इस

गीत का सबसे मजबूत पक्ष है.



फिल्म एक मुसाफिर एक हसीना ने तो सफलता के कीर्तिमान रच दिए थे.

फिल्म से ज्यादा मगर, इसका संगीत लोकप्रिय रहा और आज भी इसके गीत

आपको सुनाई देते होंगे. प्रस्तुत गीत का तो फिल्मांकन भी बहुत उम्दा दर्जे का

है. फिल्म निर्देशक राज खोसला की ऑंखें कुछ अलग कोण से कैमरे को घुमाया

करती थीं. ट्रोली शाट उन्हें बेहद पसंद थे जो कि आप उनकी फिल्मों के गीत

देखते वक्त अवश्य महसूस करेंगे. उनके शाट में नायक नायिका के बजाये कैमरा

ज्यादा घूमा करता था.



चम्मच वाली ढोलक बजायी जा रही है गीत में, ढोलक लटकते ही आवाज़ आनी

शुरू हो जाती है. चम्मच को ढूँढने कि कोशिश न करें, फ़िल्मी ढोलक में से कुछ

भी आवाज़ निकल सकती है. वैसे हारमोनियम भी लटकते ही बजना शुरू हो जाता

है गीत में. इसको ज्यादा ज्ञानियों के एंगल से देखें तो-प्रतीकात्मक स्वरुप ढोलक

और हारमोनियम का प्रयोग हुआ है शुरू में.



यकीनन ये गीत हिंदी फिल्म संगीत के सबसे लोकप्रिय ढोलक-हारमोनियम गीतों

में यूँ ही नहीं गिना जाता है. नैयर की इस धुन में बहुत कसावट है और गायकी

भी अपने पूरे शबाब पर है. नैयर और एस एच बिहारी को सलाम इतने रोमांटिक

गीत के निर्माण के लिए.











गीत के बोल:



बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी

मेरी ज़िन्दगी में हुज़ूर आप आए

कदम चूम लूँ या के आँखें बिछा दूँ

करूँ क्या ये मेरी समझ में न आए



बहुत शुक्रिया



करूँ पेश तुमको नज़राना दिल का

नज़राना दिल का

के बन जाए कोई अफ़साना दिल का

खुदा जाने ऐसी सुहानी घड़ी फिर

खुदा जाने ऐसी सुहानी घड़ी फिर

मेरी ज़िन्दगी में पलट के न आए



बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी

मेरी ज़िन्दगी में हुज़ूर आप आए

बहुत शुक्रिया



खुशी तो बहुत है मगर ये भी ग़म है

मगर ये भी ग़म है

के ये साथ अपना कदम दो कदम है

मगर ये मुसाफ़िर दुआ माँगता है

मगर ये मुसाफ़िर दुआ माँगता है

खुदा आपसे किसी दिन मिलाए



बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी

मेरी ज़िन्दगी में हुज़ूर आप आए

बहुत शुक्रिया



आ आ आ आ आ आ आ आ

मुझे डर है मुझमें ग़ुरूर आ न जाए

लगूँ झूमने मैं सुरूर आ न जाए

सुरूर आ न जाए

कहीं दिल ये मेरा ये तारीफ़ सुन कर

कहीं दिल ये मेरा ये तारीफ़ सुन कर

तुम्हारा बने और मुझे भूल जाए



बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी

मेरी ज़िन्दगी में हुज़ूर आप आए

बहुत शुक्रिया

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Bahut shukriya badi meharbani-Ek musafir ek haseena 1962

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