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Sunday, 17 July 2011

बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी-रानी रूपमती १९५७

आइये गायकी का आनंद उठाया जाए। गीत के आनंद और
गायकी के आनंद में फर्क है। गायकी में बोल सुरीले हो सकते
हैं और नहीं भी। अभिनेता अभिनेत्री हो या ना हों, कोई फर्क नहीं
पढता। गायकी का मज़ा या तो किसी शास्त्रीय संगीत के दिग्गज
की आवाज़ में मिलता है या फिर मन्ना डे के गायन में मिलता
है। यहाँ परदे पर कृष्ण राव चोनकर नाम के शास्त्रीय संगीत के
गायक आपको दिखाई देंगे जो हमारे हीरो को गायन सिखा
रहे हैं। इस गीत में आवाज़ कृष्ण राव चोनकर और रफ़ी की है।

ऐसे गायन को हम उप-शास्त्रीय संगीत में शामिल कर सकते हैं
जो ना तो पूरा फ़िल्मी है ना पूर्ण रागदारी का हिस्सा।





गीत के बोल:

आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ
हा आ आ आ आ आ

बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
हे ऐ ऐ ऐ ऐसो है बेदर्दी बनवारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
हे ऐ ऐ ऐ मोहे बेदर्दी बनवारी
ऐसो है निडर डरत न काहूँ से लंगर
ऐसो है निडर डरत न काहूँ से लंगर
अपने धिंगा धिंगी करत है डगर
हे मोरे राम, हे मोरे राम, हे मोरे राम

बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी

इतने दिनन में मोसे कबहूँ न अटक्यो
हा आ आ आ आ आ ,
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
बाट चलत
इतने दिनन में मोसे कबहूँ न
आ आ आ, आ आ आ, आ आ आ आ आ आ आ
हा आ आ आ आ आ
बाट चलत
इतने दिनन में मोसे कबहूँ न अटक्यो
नित प्रति जात गलिन में सुबह शाम
आवत फागुन इतरात जात दे-दे तारी
हे मोरे राम, हे मोरे राम, हे मोरे राम

बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नई चुनरी रँग डारी रे
चुनरी रँग डारी रे, चुनरी रँग डारी रे,
चुनरी रँग डारी रे, चुनरी रँग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी

ध, प म ग रे सा नी सा, रे ग म प ध प,
ध प, म ग, रे सा, सा ग रे म सा म ग
म ध नी ध म ग, म ध नी सा, आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ

बाट चलत नयी
हा आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
बाट चलत नयी
हा आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
बाट चलत नयी
हा आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
..........................................
Baat chalat nayi chunri-Rani Roopmati 1957

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