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Sunday, 17 July 2011

नुक्ताचीं है गम-ए-दिल-मिर्ज़ा ग़ालिब १९५५

पिछली एक पोस्ट में सहगल का गाया हुआ "नुक्ताचीं..." आपने सुना।
१९५४ में एक फिल्म आई 'मिर्ज़ा ग़ालिब' जिसमे ग़ालिब की रचनाएँ
कई कलाकारों ने गयीं। संगीत तैयार किया गुलाम मोहम्मद ने जिनकी
पहचान बढ़ाने में इस फिल्म के संगीत का बड़ा योगदान रहा। फिल्म में
भारत भूषण और सुरैया मुख्य भूमिकाओं में हैं। बतौर श्रोता मैं इस फिल्म
के गीतों से बहुत प्रभावित रहा। इस फिल्म के साथ बहुत सी नामचीन हस्तियाँ
जुड़ीं जिनका जिक्र किसी और गीत के साथ।



गीत के बोल:

नुक्ताचीं है गम-ए-दिल उसको सुनाये न बने
उसको सुनाये न बने
क्या बने बात जहाँ, बात बनाये न बने
बात बनाये न बने
बात बनाये न बने

नुक्ताचीं है गम-ए-दिल

गैर फिरता है लिए यूँ तेरे खत को के अगर
कोई पूछे के ये क्या है तो छुपाये न बने तो
तो छुपाये न बने

नुक्ताचीं है गम-ए-दिल

मैं बुलाता तो हूँ उसको मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
मैं बुलाता तो हूँ उसको मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
उसपे बन आये कुछ ऐसी के बिन आये न बने
उसपे बन आये कुछ ऐसी के बिन आये न बने
के बिन आये न बने

नुक्ताचीं है गम-ए-दिल

इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
के लगाये न लगे और बुझाये न बने
और बुझाये न बने

नुक्ताचीं है गम-ए-दिल उसको सुनाये न बने
उसको सुनाये न बने
....................................
Nuktacheen hai gham-e-dil-Mirza Ghalib 1955

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