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Saturday, 16 July 2011

आग छिड़क गई चांदनी-आगोश १९५३

मीना कपूर आवाज़ के मामले में गीत दत्त की बहन जैसी
सुनाई पढ़ती हैं । वैसे उनकी आवाज़ गीता की आवाज़ से
अलग है। हर आवाज़ का अपना अंदाज़ होता है, खूबियाँ
होती हैं। बस गीता की आवाज़ में दर्द ज्यादा है। मीना कपूर
ने ४० और ५० के दशक के लगभग सभी प्रमुख संगीतकारों
के लिए गीत गाये हैं। एक प्रमुख संगीतकार की तो वे
जीवनसंगिनी ही बन गयीं-अनिल बिश्वास।

ये गीत है फिल्म आगोश से और बड़ा ही मस्तमौला सा गीत
है.



गीत के बोल:

आग छिड़क गयी चांदनी ,
मेरे गोरे बदन पे
ओ मेरे कोमल मन पे, हाय
आज मैं डर गयी डर गयी डर गयी रे

आग छिड़क गयी चांदनी ,
मेरे गोरे बदन पे
ओ मेरे कोमल मन पे, हाय
आज मैं डर गयी डर गयी डर गयी रे

लहरों के संग नाचे छम छम किरणों की डोरियाँ
धीरे से पल खींचे दिल के पर्दों की डोरियाँ
झूम ही जाता है आसमान मचल गयी मेरे सजना
हाय आज मैं डर गयी डर गयी डर गयी रे

आग छिड़क गयी चांदनी ,
मेरे गोरे बदन पे
ओ मेरे कोमल मन पे, हाय
आज मैं डर गयी डर गयी डर गयी रे

रात सुहानी चुपके से कुछ कानों में कह गयी
मेरे दिल की बात बेदर्दी दिल में ही रह गयी
तारे भी संग हैं सितारे हँसे मदमस्त नज़ारे
हाय, आज मैं डर गयी डर गयी डर गयी रे

आग छिड़क गयी चांदनी ,
मेरे गोरे बदन पे
ओ मेरे कोमल मन पे, हाय
आज मैं गिर गयी गिर गयी गिर गयी रे

चाँद की शीतल छांव में सब दुनिया सो गयी
मेरी दुनिया प्यार की खुशियों में खो गयी
बैठे हैं वो आग लगा के मगर दामन को बचा के
हाय आज मैं डर गयी डर गयी डर गयी रे

आग छिड़क गयी चांदनी ,
मेरे गोरे बदन पे
ओ मेरे कोमल मन पे, हाय
आज मैं गिर गयी गिर गयी गिर गयी रे
....................................
Aag chhidak gayi chandni-Aagosh 1953

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