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Sunday, 28 November 2010

एक झूठी सी तसल्ली-शीशम १९५२

जब माहौल छाया गीत वाला बन ही गया है तो आइये सुनें
फिल्म शीशम से मुकेश का गाया एक बढ़िया गीत। गीत
लिखा है ज़िया सरहदी ने और इसकी धुन बनाई है रोशन ने।
फिल्म में नासिर खान और नूतन प्रमुख कलाकार हैं। बहुत
सरल सा गीत है और एक ही धारा में चलता जाता है।




गीत के बोल:

एक झूठी सी तसल्ली वो मुझे दे के चले
मेरा दिल ले के चले
एक झूठी सी तसल्ली वो मुझे दे के चले
मेरा दिल ले के चले

तेरे वादों के सहारे पे जिए जायेंगे हम
सहते जायेंगे सितम
तेरे वादों के सहारे पे जिए जायेंगे हम
सहते जायेंगे सितम
सहते जायेंगे सितम

राज़ ये तेरे सिवा और कोई जान ना ले
मेरा दिल ले के चले

एक झूठी सी तसल्ली

अपने बीमार को वो देखने आये थे मगर
थी ना कुछ दिल कि खाबर
अपने बीमार को वो देखने आये थे मगर
थी ना कुछ दिल कि खाबर
थी ना कुछ दिल कि खाबर

बुझा जायेंगे दिया उनसे जलाये ना जले
मेरा दिल ले के चले

एक झूठी सी तसल्ली वो मुझे दे के चले
मेरा दिल ले के चले

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