फ़िल्मी गीतों ने हमें बहुत कुछ सिखाया है. शेर शायरी न आती हो तो
प्रेम का इज़हार गीत गा कर कर दो वगैरह वगैरह.....
बेबी डॉल से लगा कर उडद दाल तक हमने सालों के फ़िल्मी सफर में
बहुत कुछ देखा है. फ़िल्मी बेबी डॉल बहुतेरी आयीं हैं अभी तक. प्रभाव
बहुत कम छोड़ पायी हैं दर्शकों के मन पर.
आज आपको सत्तर के दशक की एक प्रभावशाली डॉल से मिलवाते हैं.
फिल्म का नाम है -मैं सुन्दर हूँ. फिल्म के नाम से लगता है मानो ये
नायिका के बारे में जिक्र हो रहा हो. अगर ऐसा है तो एकदम सटीक है
गाना पी टी एक्सरसाइज़ से भरपूर है. गर इसमें एक दो लाइन औरत
होतीं तो संभवतः इस प्रकार से होतीं -तुझे क्या मैं पी टी सिखा दूं, नहीं नहीं,
नहीं नहीं किसी को सिखा देगी तू,
गीत मधुर है और जयकिशन की धुन तैर रही है आनंद बक्षी के बोलों पर.यूँ कहें
आनंद बक्षी के बोल तैर रहें हैं जयकिशन की धुन पर. जो भी हो कुछ हो ज़रूर रहा है
गौर तलब है इस फिल्म के गीतों को बक्षी साहब ने ही लिखा है. शंकर जयकिशन के
पुराने साथी शैलेन्द्र और हसरत के गीत इस फिल्म में नहीं हैं.
गीत के बोल:
नहीं नहीं नहीं , नहीं बताऊंगी
तुझे दिल की बात बता दूं
नहीं नहीं, नहीं नहीं
किसी को बता देगी तू
कहानी बना देगी तू
इस राधा ने खेली अपने श्याम से होली भी
इस राधा ने खेली अपने श्याम से होली भी
होली क्या सपने में खेली आंख मिचोली भी
तुझे मैं ये खेल सिखा दूं
नहीं नहीं, नहीं नहीं
किसी दिन दगा देगी तू,
कहानी बना देगी तू
तुझे दिल की बात बता दूं
नहीं नहीं, नहीं नहीं
किसी को बता देगी तू
कहानी बना देगी तू
अपनी जुल्फों से अपनी ज़ंजीर बनायीं है
अपनी जुल्फों से अपनी ज़ंजीर बनायीं है
मैंने ख्यालों में कोई तस्वीर बनायीं है
तुझे वो तस्वीर दिखा दूं
नहीं नहीं, नहीं नहीं
किसी को दिखा देगी तू
कहानी बना देगी तू
तुझे दिल की बात बता दूं
नहीं नहीं, नहीं नहीं
किसी को बता देगी तू
कहानी बना देगी तू
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Tujhe dil ki baat bata doon-Main sundar hoon 1971
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