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Tuesday, 25 October 2011

चने के खेत में-अंजाम १९९४

गोरी बाजरे के खेत में दिखे या चने के खेत में, गोरी ही रहेगी और हमेशा
सुन्दर और प्यार करने लायक दिखाई देगी। हिंदी फिल्मों की फिलासफ़ी
के अनुसार ऐसा कई गीतों में और दृश्यों में अनुभव किया होगा दर्शक ने।
युग परिवर्तन के साथ साथ केवल नायक नायिका की वेश भूषा ही बदली
होगी, मूल भाव जस का तस है।

खेत एक समय(आज भी हैं) भांति भांति के क्रियाकलापों का केंद्र हुआ करते
थे। इसमें कूटनीति की चर्चा, मसाला कुटाई की चर्चा से लगा कर भावनाओं की
कुटाई तक कई मसले हल किये जाते रहे। अब इतने महत्पूर्ण पहलू का दोहन
अगर कवि और गीतकार नहीं करेंगे तो ये तो खेत और खलिहान की उपेक्षा वाली
बात हो जाएगी न।

आपको पिछले वर्ष एक गीत सुनवाया था फिल्म चाचा जिंदाबाद से जिसमें एक
पंक्ति है-बाजरे के खेत में सुरतिया दिखा जा गोरी


आज आपको चने के खेत पर केंद्रित गीत सुनवा रहे हैं। इसे आप कृषि प्रधान
या पर्यावरण प्रेमी गीत की संज्ञा प्रदान कर सकते हैं। फिल्म का नाम है अंजाम
जिसमें शाहरुख खान और माधुरी दीक्षित की प्रमुख भूमिकाएं हैं। गीत गाया
है खटिया पटिया गीतों से चर्चा में आई गायिका पूर्णिमा ने। पूर्णिमा ने कई गीत
गाये हैं मगर उनके वे गीत सबसे ज्यादा पसंद किये जाते हैं जिनमें उत्तेजना जगाने
वाला भाव होता है। ये उनकी आवाज़ का ही कमाल है जो सुनने वालों को उनकी
आवाज़ का दीवाना बना देता है, ये पहलू उनकी कई समकालीन गायिकाओं की
आवाज़ से नदारद है।



गीत के बोल:

अठरह बरस की कंवारी कली थी
घूंघट में मुखड़ा छुपा के चली थी
अठरह बरस की कंवारी कली थी
घूंघट में मुखड़ा छुपा के चली थी
फँसी गोरी
फँसी गोरी चने के खेत में
हुई चोरी चने के खेत में

पहले तो जुल्मे ने पकड़ी कलाई
फिर उसने चुपके से ऊँगली दबी
पहले तो जुल्मे ने पकड़ी कलाई
फिर उसने चुपके से ऊँगली दबी
जोरा जोरी
जोरा जोरी चने के खेत में
हुई चोरी चने के खेत में
तू तू तू तू, तू तू तू तू

मेरे आगे पीछे शिकारियों के घेरे
बैठे वहां सारे जवानी के लुटेरे
हाँ, मेरे आगे पीछे शिकारियों के घेरे
बैठे वहां सारे जवानी के लुटेरे
हारी मैं हारी पुकार के
यहाँ वहां देखूं निहार के
यहाँ वहां देखूं निहार के
जोबन पे चुनरी गिरा के चली थी
हाँ, जोबन पे चुनरी गिरा के चली थी
हाथों में कंगना सजा के चली थी
चूड़ी टूटी
चूड़ी टूटी चने के खेत में
जोरा जोरी चने के खेत में

तौबा मेरी तौबा, निगाहें ना मिलाऊँ
ऐसे कैसे सब को कहानी मैं बताऊँ
तौबा मेरी तौबा, निगाहें ना मिलाऊँ
ऐसे कैसे सब को कहानी मैं बताऊँ
क्या क्या हुआ मेरे साथ रे
कोई भी तो आया ना हाथ रे
कोई भी तो आया ना हाथ रे
लहंगे में गोटा जड़ा के चली थी
लहंगे में गोटा जड़ा के चली थी
बालों में गजरा लगा के चली थी
बाली छूटी
बाली छूटी चने के खेत में
ओ जोरा जोरी चने के खेत में

अठरह बरस की कंवारी कली थी
घूंघट में मुखड़ा छुपा के चली थी
फँसी गोरी
फँसी गोरी चने के खेत में
रे हुई चोरी चने के खेत में
पहले तो जुल्मी ने पकड़ी कलाई
फिर उसने चुपके से ऊँगली दबाई
जोरा जोरी
जोरा जोरी चने के खेत में
रे हुई चोरी चने के खेत में
...............................
Chane ke khet mein-Anjaam १९९४

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