फिल्म ज़बक और फिल्म काली टोपी ला रुमाल का संगीत एक जैसा सुनाई
पढता है, क्यूँ ना हो, दोनों फिल्मों में चित्रगुप्त का संगीत जो है। सन ६१ से
रंगीन फिल्मों का दौर शुरू हुआ, ऐसा कहा जाता । कुछ फ़िल्में आधी रंगीन
बनीं तो कुछ पूरी रंगीन। ज़बक का किस्सा भी कुछ ऐसा ही है। फिल्म के
निर्देशक हैं होमी वाडिया। वाडिया पौराणिक और ऐतिहासिक फिल्मों के लिए
जाने जाते हैं। गीत प्रेम धवन ने लिखा है और गा रही हैं लता मंगेशकर।
गीत के बोल:
जाने कैसा छाने लगा नशा ये प्यार का
थोड़ा थोड़ा आने लगा मज़ा बहार का
जाने कैसा छाने लगा नशा ये प्यार का
थोड़ा थोड़ा आने लगा मज़ा बहार का
दिल जो मिले, गुल से खिले, जान गए हमराज़ नए
दिल जो मिले, गुल से खिले, जान गए हमराज़ नए
तुझसे सनम, तेरी कसम, सीख किए अंदाज़ नए
गई दिलको उड़ा, तेरी शोख़ अदा, मेरा बस न चला
जाने कैसा छाने लगा नशा ये प्यार का
थोड़ा थोड़ा आने लगा मज़ा बहार का
दिल थे जवां, रात हसीं ऐसे में तुमसे आँख लड़ी
दिल थे जवां, रात हसीं ऐसे में तुमसे आँख लड़ी
कैसे बुझे दिलके लगी अब तो ये मुश्किल आन पड़ी
ऐसा दर्द मिला, नहीं जिसकी दवा, तेरे प्यार के सिवा
जाने कैसा छाने लगा नशा ये प्यार ने
थोड़ा थोड़ा आने लगा मज़ा बहार का
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Jaane kaisa chhane laga-Zabak 1961
Sunday, 11 September 2011
जाने कैसा छाने लगा नशा ये प्यार का-ज़बक १९६१
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