दुर्लभ और कर्णप्रिय गीतों की श्रृंखला में अगला मधुर गीत
पेश है फिल्म मुक्ति (१९६०) से. मोतीलाल और नलिनी जयवंत
अभिनीत फिल्म में अनजान से संगीतकार मलय चक्रवर्ती का
संगीत है.
प्रस्तुत गीत लता मंगेशकर कि आवाज़ में है जिसके बोल लिखे
हैं मुनीर काज़मी ने.
गीत के बोल:
दिल लुभा के मेरे साथी भूल जाना ना
जैसे रोती है घटा ऐसे रुलाना ना
दिल लुभा के मेरे साथी भूल जाना ना
दिल लुभा के भूल जाना ना
बात नैनों से हुई रातों कि नींद गयी
बात नैनों से हुई रातों कि नींद गयी
बार बार आये ख्यालों में ये कह न सकी
इस तडपते दिल को तुम मेरी कसम तडपाना ना
जैसे रोती है घटा ऐसे रुलाना ना
दिल लुभा के भूल जाना ना
चांदनी भी खिल उठी नीले गगन के बागों में
चांदनी भी खिल उठी नीले गगन के बागों में
चैन दिल का ढूंढती हूँ चन्द्रमा के दाग में
चैन दिल का ढूंढती हूँ चन्द्रमा के दाग में
रात के तारों को बादल में छिपाना ना
जैसे रोती है घटा ऐसे रुलाना ना
दिल लुभा के भूल जाना ना
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Dil lubha ke mere sathi-Mukti 1960
Thursday, 4 August 2011
दिल लुभा के मेरे साथी-मुक्ति १९६०
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