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Wednesday, 10 August 2011

दिल की इस दहलीज़ पर-कभी अजनबी थे १९८५

हिंदी फिल्म संगीत क्षेत्र में कई संगीतकार आये जिन्होंने एक दो गीत

से ही सही अपनी छाप अवश्य छोड़ी। एक मधुर गीत सुनवाते हैं आपको

'कभी अजनबी थे ' फिल्म से। फिल्म में संगीत विजय सिंह का है।



जनता को शायद किरकिट और फिल्लम का घालमेल पसंद नहीं आया

अतः ये दर्शकों के लिए भी अजनबी सी हो गई। गीत अलबत्ता खूब सुनाई

दिए इसके।



फिल्म में क्रिकेट खिलाडी भी दिखाई देंगे आपको अगर इस फिल्म को

देखने का मौका आपको मिले। सैयद किरमानी और वेस्ट इंडीज़ टीम के

प्रख्यात कप्तान क्लाइव लॉयड भी इस फिल्म में हैं।



गीत में आपको दिखाई देंगे अमिताभ की फिल्मों के आवश्यक तत्त्व रहे-

राम शेट्टी जो संदीप को रेडियो पर बज रहे गीत सुनने के लिए आमंत्रित

कर रहे हैं।







गीत के बोल:



दिल की इस दहलीज़ तक जो मेहमान बन के आये

जो मेहमान बन के आये

शाम की तनहाइयों में उनकी उल्फत के ये साये

प्यार का तूफ़ान लाये



चाँद यादो का अब सहारा है, प्यार का दर्द भी गवारा है

साथ किसी के जो बीते थे, वो लम्हे थे ख्वाबों के

खुशनुमा सपना था कोई, नींद में हम मुस्कुराये

हम मुस्कुराये

शाम की तनहाइयों में उनकी उल्फत के ये साये

प्यार का तूफ़ान लाये



दिल की इस दहलीज़ तक जो मेहमान बन के आये

जो मेहमान बन के आये



रात गुमसुम है आसमान चुप है, दर्द में डूबे कहकशां चुप है

रात का राही चाँद अकेला, अपने सफ़र में है तनहा

रात के ख्वाबो में शायद, कोई सुबह मुस्कुराये

सुबह मुस्कुराये

शाम की तनहाइयों में उनकी उल्फत के ये साये

प्यार का तूफ़ान लाये



दिल की इस दहलीज़ तक जो मेहमान बन के आये

जो मेहमान बन के आये

जो मेहमान बन के आये

......................................

Dil ki is dehleez-Kabhi ajnabi the 1985

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