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Saturday, 16 July 2011

तेरा मेरा प्यार अमर-असली नकली १९६२

आपको सुनवाते हैं एक सीधा सरल सा गीत. मैंडोलिन और तबले के
साथ एक सरल सी धुन बनाई है शंकर जयकिशन ने. अंतरों के बीच
का संगीत समूह-वायलिन द्वारा बनाया गया है जिसका प्रचुर मात्रा में
शंकर जयकिशन के संगीत में प्रयोग हुआ है. फिल्म की नायिका गरीब
घर की है इसलिए उसको दर लगता है-जैसा की इस गीत में उल्लेख है.
नायिका हैं साधना और नायक हैं देव आनंद.

गीत शैलेन्द्र ने लिखा है और शंकर जयकिशन की धुन पर इसे गाया है
लाता मंगेशकर ने. सादगी कितनी खूबसूरत है इस गीत को देख कर
आज की पीढ़ी को कुछ समझने की आवश्यकता है.



गीत के बोल:

तेरा मेरा प्यार अमर
तेरा मेरा प्यार अमर
फिर क्यों मुझको लगता है डर
मेरे जीवनसाथी बता
क्यों दिल धड़के रह-रह कर

क्या कहा है चाँद ने
जिसको सुन के चाँदनी
हर लहर पे झूम के
क्यों ये नाचने लगी
चाहत का है हरसूँ असर
फिर क्यों मुझको लगता है डर

तेरा मेरा प्यार अमर
फिर क्यों मुझको लगता है डर

कह रहा है मेरा दिल
अब ये रात ना ढले
खुशियों को ये सिलसिला
ऐसे ही चला चले
तुझको देखूँ, देखूँ जिधर
फिर क्यों मुझको लगता है डर

तेरा मेरा प्यार अमर
फिर क्यों मुझको लगता है डर

है शबाब पर उमंग
हर खुशी जवान है
मेरे दोनों बाहों में
जैसे आसमान है
चलती हूँ तारों पर
फिर क्यों मुझको लगता है डर

तेरा मेरा प्यार अमर
फिर क्यों मुझको लगता है डर
..................................
Tera mera pyar amar-Asli Naqli 1962

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