४० और पचास के दशक की फिल्मों में भी प्रेम त्रिकोण, दूसरी शादी,
तलाक इत्यादि विषय हुआ करते थे. उस समय ये फ़िल्में शायद ज्यादा
नहीं चला करती थीं. समाज में हर सोच के व्यक्ति मिलेंगे आपको. कुछ
संकीर्ण विचारों वाले जो किसी भी नयेपन की सिरे से ख़ारिज करते हैं तो
कुछ खुले दिमाग वाले जो हर किसी नए विचार का स्वागत करने को आतुर
रहते हैं. ४० और पचास के दशक में समाज में फिल्मों ने क्या असर डाला
ये तो शोध का विषय होगा, मगर ये तय है की उस समय इतना खुलापन
नहीं था की लोग किसी लीक से हट कर होने वाली चीज़ों को सहजता से
स्वीकारें.
आइये सुनें दूसरी शादी फिल्म से एक गीत जो सन १९४७ की फिल्म है जिस
वर्ष हमारा देश आज़ाद हुआ था. फिल्म में कुमार, मुमताज़ शांति,डेविड, गोप
और प्रमिला मुख्य कलाकार हैं. ये गीत गाया है जोहराबाई अम्बालेवाली ने जिसे
लिखा आई. सी. कपूर ने और धुन बनाई गोविन्द राम ने .
गीत के बोल:
टूटा हुआ दिल गायेगा क्या गीत सुहाना
टूटा हुआ दिल गायेगा क्या गीत सुहाना
हर बात में, ढूंढेगा वो, रोने का बहाना
हर बात में, ढूंढेगा वो, रोने का बहाना
टूटा हुआ दिल गायेगा क्या
जो बस्ती बड़े चाह से थी हमने बसाई
जो बस्ती बड़े चाह से थी हमने बसाई
उस बस्ती में मिलता नहीं है हमको ठिकाना
उस बस्ती में मिलता नहीं है हमको ठिकाना
टूटा हुआ दिल गायेगा क्या
शिकवा है न किसी से न गीला मुझको किसी से
शिकवा है न किसी से न गीला मुझको किसी से
किस्मत मेरी बैरी हुई दुश्मन है ज़माना
किस्मत मेरी बैरी हुई दुश्मन है ज़माना
टूटा हुआ दिल गायेगा क्या गीत सुहाना
टूटा हुआ दिल गायेगा क्या
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Toota hua dil gayega kya-Doosri shadi 1947
Saturday, 16 July 2011
टूटा हुआ दिल गायेगा क्या-दूसरी शादी १९४७
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