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Tuesday, 7 June 2011

ज़िन्दगी क्या है-प्यार किया तो डरना क्या १९६३

आपने नई "प्यार किया तो डरना क्या" का गीत सुन लिया, अब सुनिए
शम्मी कपूर वाली फिल्म से एक गीत। गीत श्वेत श्याम है और दर्द
भरा है, पिछले गीत के विपरीत। गीत का फिल्मांकन बढ़िया है और
गीत भी मधुर है। शकील बदायूनीं के लिखे गीत को संगीत से संवारा
है रवि ने। ज़िन्दगी कितनी खाली खाली हो सकती है इस गीत को पूरा
देखने और सुनने के बाद अहसास होता है।

शम्मी कपूर पर फिल्माए गये खुशनुमा गीत आपने कई देखे होंगे मगर
उनके दर्द भरे गीत याद रख पाना आसान नहीं है। उनकी छबि उछल
कूद वाले और रोमांटिक गीत गाने वाले नायक की रही है। अपने शुरूआती
दौर में उन्होंने ज़रूर कुछ रुलाने वाले गीत गाये, कुछ तो ऐसे हैं जिनकी
धुन ही रोती सी सुनाई देती है।



गीत के बोल:


ज़िन्दगी क्या है ग़म का दरिया है
न जीना यहाँ बस में न मरना यहाँ बस में
अजब दुनिया है
ज़िन्दगी क्या है

झूठी हैं दुनिया की बहारें रंग हैं सारे कच्चे
झूठी हैं दुनिया की बहारें रंग हैं सारे कच्चे
वक़्त पड़े तो थाम लें दामन फूल से काँटे अच्छे
इस गुलशन में क़दम-क़दम पर एक नया धोखा है
नया धोखा है

ज़िन्दगी क्या है ग़म का दरिया है
न जीना यहाँ बस में न मरना यहाँ बस में
अजब दुनिया है
ज़िन्दगी क्या है

जब इन्सान अकेला था तो दुख भी न थे जीवन में
जब इन्सान अकेला था तो दुख भी न थे जीवन में
पाया जब हमराही उसने डूब गया उलझन में
ये दुनिया है बेगानों की कौन यहाँ अपना है
यहाँ अपना है

ज़िन्दगी क्या है ग़म का दरिया है
न जीना यहाँ बस में न मरना यहाँ बस में
अजब दुनिया है
ज़िन्दगी क्या है

हाय रे वो इन्सान के जिसको ग़म की नज़र लग जाए
हाय रे वो इन्सान के जिसको ग़म की नज़र लग जाए
चुपके-चुपके आहें भरे और मुँह से न कुछ कह पाए
दिल अपना हँसता है खुद पर और कभी रोता है
और कभी रोता है

ज़िन्दगी क्या है ग़म का दरिया है
न जीना यहाँ बस में न मरना यहाँ बस में
अजब दुनिया है
ज़िन्दगी क्या है
...................................
Zindagi kya hai-Pyar kiya to darna kya 1963

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